Haryana News: जनता बेहाल, किसान कंगाल, सरकार के गुजराती मित्र मालामाल: कुमारी सैलजा

Haryana News:  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार के शासन के दौरान देश की जनता बेहाल है, किसान कंगाल है, लेकिन सरकार के गुजराती मित्र मालामाल हैं। देश में गेहूं का सरकारी स्टॉक पिछले साल के मुकाबले 36 प्रतिशत से अधिक कम हो चुका है। आटा, दाल, चावल लगातार महंगे हो रहे हैं, लेकिन स्टॉकिस्ट पर छापेमारी नहीं हो रही। क्योंकि, ये बड़े-बड़े स्टॉकिस्ट सरकार के मुखिया के गुजराती मित्र हैं।

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मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि देश में इतिहास में यह पहली बार हो रहा है, जब आटा, दाल, चावल के भाव लगातार आसमान छू रहे हैं। यही सिलसिला चलता रहा तो रोटी जनता की थाली से गायब ही हो जाएगी। लोगों के सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी, जबकि देश की अर्थव्यवस्था के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के संरक्षित भंडार में केवल 2.39 करोड़ टन गेहूं ही बचा है, जो पिछले साल 3.77 करोड़ टन था। यानी, सरकारी भंडार में गेहूं 36.60 प्रतिशत तक कम हो चुका है। इससे साफ है कि गेहूं का संकट प्राकृतिक नहीं है, यह कृत्रिम है। इसे बनाया गया है। गेहूं सभी की जरूरत है, इसलिए बड़े-बड़े गुजराती व्यापारियों ने मुनाफा कमाने के लिए इसे स्टॉक किया हुआ है।

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कुमारी सैलजा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का यह बड़ा फेल्योर है, जो आटा के दाम थोक बाजार में 6 महीने के अंदर 16 प्रतिशत बढ़ चुके हैं। इसी तरह चावल के भाव में 14.8 प्रतिशत, चीनी में 10.8 प्रतिशत व तुअर की दाल में 16.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। इससे भी बड़ी चिंता की बात तो यह है कि अगले तीन महीने के दौरान इन खाद्यान्नों के दाम में और भी बढ़ोतरी की आशंका जताई गई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खाद्यान्न के बढ़ते दामों पर काबू सिर्फ एक ही तरीके से पाया जा सकता है। वह तरीका है बड़े-बड़े मुनाफाखोरों पर छापेमारी। लेकिन, इन पर छापे मारने की हिम्मत केंद्र सरकार की किसी भी एजेंसी की नहीं है। क्योंकि, खाद्यान्न को स्टॉक करने वाले अधिकतर गुजराती हैं। इससे साफ है कि गुजराती मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए खाद्यान्न का संकट पैदा किया जा रहा है और इस खेल में केंद्र सरकार भी बराबर की भागीदार है।

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