HAPPY NEW YEAR: जाते जाते साल में मिला मंहगाई का तोफा, पहली बार सिलेंडर 1000 के पार
साल 2022 खत्म होने के कुछ ही घंटे बचे है लेकिन जाते जाते मंहगाई तौफा दे दिया। पहली बार घरेलू गैस सिलेंडर 1,000 रुपए के पार निकल गया। आटा इस साल यानि 2022 में 26 रुपए से बढ़कर 32 रुपए किलो पर हो गया है। इसी तरह हर घर में रोजाना उपयोग होने वाले सामान जैसे तेल, दूध और चावल जैसी चीजों के दाम भी इस साल बढ़ते रहे। महंगाई के बढ़ने का सीधा-सीधा मतलब आपकी जेब और कमाए पैसों का मूल्य कम होना है। समझा जाएं तो महंगाई दर 7 प्रतिशत है, तो आपके कमाए 100 रुपए का मूल्य 93 रुपए होगा। ऐसे कई फैक्टर हैं जो किसी इकोनॉमी में कीमतों या महंगाई को बढ़ा सकते हैं। आमतौर पर, महंगाई प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने, प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड में तेजी या सप्लाई में कमी के कारण होती है। महंगाई बढ़ने के कुछ कारण होते हैं।
डिमांड पुल इन्फ्लेशन तब होती है जब कुछ प्रोडक्ट और सर्विसेज की डिमांड अचानक तेजी से बढ़ जाती है।
कॉस्ट-पुश इन्फ्लेशन तब होती है जब मटेरियल कॉस्ट बढ़ती है। इसे कंज्यूमर को पास कर दिया जाता है।
यदि मनी सप्लाई प्रोडक्शन की दर से ज्यादा तेजी से बढ़ती है, तो इसका परिणाम महंगाई हो सकता है।
कुछ इकोनॉमिस्ट सैलरी में तेज बढ़ोतरी को भी महंगाई का कारण मानते हैं। इससे प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ती है।
सरकार की नीति से भी कॉस्ट पुश या डिमांड-पुल इन्फ्लेशन हो सकती है। इसलिए सही पॉलिसी जरूरी है।
कई देश इंपोर्ट पर ज्यादा निर्भर होते हैं वहां डॉलर के मुकाबले करेंसी का कमजोर होना महंगाई का कारण बनता है।
भारत में महंगाई के कारणों की बात करें तो डॉलर की तुलना में रुपया कमजोर होकर 80 के स्तर के पार पहुंच गया है। डॉलर महंगा होने से भारत का आयात और महंगा होता जा रहा है और इससे घरेलू बाजार में चीजों के दाम भी बढ़ रहे हैं। वहीं कोविड के बाद से सप्लाई चेन अभी तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं आई है, जिसने महंगाई को बढ़ाया है। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण क्रूड ऑयल और खाने-पीने के सामानों के दाम बढ़े हैं।
इन्हें कहते है महंगाई कंट्रोल टूल
1. मॉनेटरी पॉलिसी
रिर्जव बैंक के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, त्ठप् रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। इससे डिमांड में कमी आती है और महंगाई घटती है।
2. आयकर में बढ़ोतरी
महंगाई को काबू करने के लिए, सरकार करों (जैसे आयकर और जीएसटी दरो को बढ़ा सकती है और खर्च में कमी कर सकती है। इससे सरकार की बजट स्थिति में सुधार होता है और अर्थव्यवस्था में मांग को कम करने में मदद मिलती है।
3. विनिमय दर तंत्र
देश निश्चित में विनिमय दर तंत्र शामिल होकर महंगाई को कम रखने की कोशिश कर सकता है। तर्क यह है कि यदि किसी मुद्रा का मूल्य निश्चित (या सेमी-फिक्स्ड) है तो यह महंगाई को कम रखने में मदद करता है।