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हज कमेटी को फिर से विदेश मंत्रालय के सुपुर्द करने और सीईओ को पदमुक्त करने की उठी मांग
hajj pilgrimage: नई दिल्ली। हज यात्रा 2024 में होने वाली गड़बड़ियों और लापरवाहियों का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। जैसे-जैसे हज यात्रा कर हज यात्री वापस आ रहे हैं.वैसे-वैसे सारी परतें खुलती जा रही हैं। इस वर्ष वहां पर पड़ने वाली भीषण गर्मी की वजह से सैकड़ों लोगों के मारे जाने पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हज कमेटी ऑफ़ इंडिया के जरिए पूरे मामले पर लीपापोती किए जाने से यात्रियों और उनके रिश्तेदारों में इसके प्रति काफी रोष है। हज यात्रा से जुड़े समाजिक संगठनों के जिम्मेदारों का कहना है कि इन सभी समस्याओं एकमात्र हल हज कमेटी ऑफ़ इंडिया को पहले की तरह अल्पसंख्यक मंत्रालय से हटाकर विदेश मंत्रालय के सुपुर्द किया जाना है।ऐसे तमाम लोगों का मानना है कि जब से हज कमेटी को अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन किया गया है, तभी से सभी तरह की समस्याएं पैदा हो रही हैं। उनका कहना है कि हज यात्रा दो देशों के बीच का मामला है और इसे विदेश मंत्रालय ही बेहतर तरीके से संभाल सकता है। अल्पसंख्यक मंत्रालय का इसमें कोई रोल नहीं है। इसके अलावा कानूनी तौर से कमेटी का पुनर्गठन नहीं होने और सीईओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर किसी व्यक्ति का स्थाई तौर पर मौजूद नहीं होना भी बताया जा रहा है। वर्तमान में कमेटी के सीईओ के पास भारत सरकार की कई जिम्मेदारियां हैं जिस कारण वह हज कमेटी को समय नहीं दे पा रहे हैं।
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मंसूरी वेलफेयर फाउंडेशन के अध्यक्ष हसनैन अख्तर मंसूरी का कहना है कि हज यात्रा 2024 में जितनी परेशानियां हाजियों को उठानी पड़ीं, इससे पहले इतनी परेशानियों का सामना हाजियों को नहीं करना पड़ा है। उनका कहना है कि इसके लिए सीईओ हज कमेटी लियाकत अली आफाकी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं और उन्हें अपने पद से फौरन इस्तीफा देना चाहिए। आफाकी ने समाचारपत्रों में झूठे-सच्चे बयान देने के अलावा कुछ भी नहीं किया। उन्हें हज यात्रा का किसी भी तरह का कोई अनुभव ही नहीं था और ना ही उन्होंने हज यात्रा से संबंधित जिम्मेदार लोगों से यात्रा संबंधी सुझाव आदि को साझा किया था। उन्होंने कहा कि बड़ी तादाद में भारतीय हज यात्रियों के मारे जाने पर भी उन्हें कोई दुख और अफसोस नहीं है बल्कि वह इस मामले में लीपापोती करते ही नजर आ रहे हैं। उनके जरिए दिए गए बयानों में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वहां पर मरने वाले यात्रियों में अधिकांशतः पहले से ही बीमार थे। उन्होंने कहा कि हज यात्रियों की सेवा के लिए जो खुद्दामुल हुज्जाज सऊदी भेजें जाते हैं हैं, उन्हें हज करने की इजाजत नहीं है। मगर यह सभी वहां पर जिस काम के लिए जाते हैं, उसे छोड़ कर चोरी-छिपे हज करते हैं। इनकी गतिविधियों की जांच होनी और उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
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नाज वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव फैजान देहलवी का कहना है कि हज यात्रा 2024 में जितने सवाल खड़े किए जा रहे हैं, इसकी निष्पक्ष जांच कराए जाने की जरूरत है। इस यात्रा में जिम्मेदार व्यक्तियों के जरिए बरती गई लापरवाही की जवाब दे ही होनी चाहिए। पहली बार हमारे देश के इतने सारे हज यात्रियों की लापरवाही और अव्यदस्था के कारण मौत हुई। उन्होंने केंद्र सरकार से इस पूरे मामले पर एक जांच कमेटी के गठन और तत्काल प्रभाव से सीईओ लियाकत अली अफाकी को पद से हटाए जाने की मांग की है।
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