Guddi dowry murder: पुलिस ने बरती लापरवाही तो जांच CBI पर पहुंची
Guddi dowry murder: यदि पुलिस पीड़ितों को इंसाफ नहीं दिलाए ,तो पीड़ित न्याय के लिए कहीं तो गुहार लगाएंगे। ऐसा ही मामला गुड्डी दहेज हत्या कांड में देखने को मिला पुलिस कदम कदम पर लापरवाही करके आरोपियों को फायदा पहुंचाती रही लेकिन पीड़ित इंसाफ के लिए भटकते रहे। पहले हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच करने के आदेश दिये लेकिन सीबीआई ने मामले को ठडे बस्ते में डाल दिया। जब हाई कोर्ट अवहेलना के मामले में सुनावई करने जा रह था तो सीबीआई एसएलपी लेकर सुप्रीम कोर्ट चली गई। परिजनों ने हार नही मानी। वे सुप्रीम कोर्ट में भी लड़ते रहे। अब सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2018 में हुई गुड्डी दहेज हत्या के मामले को सीबीआई को जांच करने के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में तत्कालीन एसएसपी क्षेत्राधिकारी दादरी ने भी लापरवाही भरा रवैया अपनाया जिस कारण पीड़ितों को इंसाफ के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। कोट गांव के रहने वाले केपी सिंह उर्फ टाइगर ने बताया कि मेरे भाई देशराज की बेटी गुड्डी का विवाह 25 जून 2011 को फरीदाबाद के पाली गांव निवासी रोहित से हुआ था। विवाह के बाद से ही ससुराल वाले दहेज में अतिरिक्त स्कार्पियो व 5 लाख मांग रहे थे। जब उन्हें डिमांड पूरी करने में असमर्थता जताई तो उन्होंने गुड्डी को ही परेशान करना शुरू कर दिया।
ससुराल वालों ने बेटा ना होने के बाद 2013 में गुड्डी को मारपीट कर घर से निकाल दिया। इतना ही नहीं तरह-तरह के बहाने बनाए, जिसमें कहा गया कि गुड्डी पर भूतप्रेत आ रहे हैं। पूरी तरह सभी तथ्य गलत साबित होते चले गए। जब ससुराल वालों ने ज्यादा दबाव बनाया तब 50 हजार और एक एसी दिया, लेकिन ससुराल वालों की डिमांड कम नहीं हुई। 8 मई 2018 को गुड्डी ने अपने परिजनों को फोन करके बता दिया कि ससुराल वाले उसके साथ मारपीट कर रहे हैं सूचना मिलने के बाद परिजन गुड्डी की ससुराल पहुंच गए। जब बुड्ढे को घायल अवस्था में देखा तो भी लेकर अपने घर आ गए गुड्डी के गर्दन की हड्डी टूटी हुई थी और वह घायल थी उसे अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन गुड्डी की जान नहीं बच पाई।
यह भी पढ़े: Dadri: सड़कें गडढा मुक्त कराने के लिए किसानों ने लुहारर्ली टोल प्लाजा घेरा
पुलिस ऐसे कर रही थी आरोपियों का बचाव
Guddi dowry murder: घटना होने के बाद भी पुलिस असरोपियों को बचाने का प्रयास करती रही। पीड़ित केपी सिंह बताते है कि इस मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने को तैयार नही थी। काफी चक्कर लगवाले के बाद जब पुलिस अफसर समझ गए कि ये लोग चुप नही बैठेगे तब जाकर रिपोर्ट दर्ज की गई। इस मामले में पीड़ित की ओर से तत्कालीन एसएसपी अजय पाल शर्मा और क्षेत्राधिकारी दादरी निशांक शर्मा को भी पार्टी बनाया गया हैं। केपी सिंह बताते है कि दहेज हत्या की जांच में कोई दोषी न साबित हो इसके लिए बिसरा भी बदलवाया गया। चैकी इंचार्ज बालियान ने अपनी राईटिंग में ऐ पत्र लिखा और मेरे भाई देशराज से हस्ताक्षर करा लिए। ताकि मामला कमजोर पड़ जाए। केपी सिंह बताते है कि सीओ निशांक शर्मा जांच के लिए जब गांव आते तो वह उनके घर जाने की बजाय किसी और के घर बुलाते थे। इससे भी जांच को प्रभावित करके आरोपियों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी।
धमकाते थे गुड्डी के ससुराल वाले
पीड़ित केपी सिंह कहते है कि गुड्डी के ससुराल कई बार उनको फरीदाबाद बुलाते थे। इस बीच धन सिंह जो कि अरावली पब्लिक स्कूल चलाते है। वे लड़के के रिश्तेदार है उन्होंने बुलाकर हमारे पूरे परिवार को डराने धमकाने की कोशिश की। जिस दिन उन्हें धमकाया उस दिन देशराज उनका बेटा बबली और मै यानि केपी सिंह फरीदाबाद गए थे। ताकि बात करके कोई भी हल निकाला जा सके।