गाजियाबाद में मानसरोवर भवन 4 साल पहले तीर्थयात्रियों के लिए बनाया गया। इसका शिलान्यास सीएम योगी ने किया। मानसरोवर भवन में 4 साल से ताला लगा है तीर्थयात्रियों की बजाय ये धूल फाक रहा है। 70 करोड़ रुपए की इस आलीशान इमारात का आज तक कोई उपयोग नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में अब इस चार मंजिला बिल्डिंग का रख-रखाव भी मुश्किल होता जा रहा है। वही अखिलेश सरकार ने गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे आलीशान हज हाउस बनवाया था। सत्ता में आते ही योगी सरकार ने इसी तर्ज पर गाजियाबाद में कैलाश मानसरोवर भवन बनाने की घोषणा 31 अगस्त 2017 को कर दी। एक मई 2018 को इंदिरापुरम क्षेत्र स्थित शक्ति खंड-4 में जमीन पर इसका शिलान्यास कर दिया गया।
31 जुलाई 2020 को ये भवन बनकर तैयार हो गया। लोकार्पण भी खुद सीएम ने किया था। इसके निर्माण कुल 70 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इस भवन को बनाने का मकसद था कि कैलाश मानसरोवर, चार धाम और कांवड़ यात्रा पर जाने वाले तीर्थयात्री यहां रूक सकें। यही बात सोचकर दिल्ली के सबसे नजदीक ये भवन बनाया गया था।
एडीएम को खबर नही
कैलाश मानसरोवर भवन का संचालन उत्तर प्रदेश का धर्मार्थ विभाग करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात है कि गाजियाबाद जिले में ये विभाग ही नहीं है। नोडल अफसर के रूप में गाजियाबाद के एडीएम गंभीर सिंह इसका सुपरविजन करते हैं। चार साल से बंद पड़े इस भवन के इस बार भी खुलने के कोई चांस हैं या नहीं? इस सवाल पर गंभीर सिंह कहते हैं- हमारे पास इस संबंध में कोई सूचना नहीं है। कुल मिलाकर कहा जाए तो मानसरोवर और हज हाउस बनाए गए लेकिन ये धूल फाक रहे है। सरकारी धन बर्बाद हो रहा है।