Pathankot News: पंजाब के पठानकोट जिले में रावि नदी के किनारे बसे 7 गांवों की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। ये गांव, जिन्हें सामूहिक रूप से मकौरा पट्टन के नाम से जाना जाता है, बाढ़ के दौरान पूरी तरह से बाकी पंजाब से अलग-थलग पड़ जाते हैं। एक तरफ रावि नदी का तेज बहाव तो दूसरी तरफ पाकिस्तान की सीमा होने के कारण यहां पहुंचने का एकमात्र साधन नाव ही है। हाल की बाढ़ में इन गांवों में पानी 15 फीट तक ऊंचा हो गया था, जिससे फसलें बर्बाद हो गईं और ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। स्थानीय लोग दशकों से एक पक्के पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनकी सुनवाई नहीं हुई।
ये गांव – जिनमें पोल्ला, कोहलियन अड्डा, कोहलियन आदि शामिल हैं – भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित हैं। राष्ट्रीय भौगोलिक पत्रिका नेशनल ज्योग्राफिक की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन गांवों में करीब 3,500 लोग रहते हैं, जो स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी “भुला दिए गए लोग” की तरह जी रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नदी पार करने में नाव से 2 घंटे लग जाते हैं, और मेडिकल इमरजेंसी में जान जोखिम में पड़ जाती है। हाल की बाढ़ में कजला और ताश पट्टन जैसे गांवों में लोग फंस गए थे, जिन्हें भारतीय वायुसेना के ध्रुव हेलीकॉप्टर और एनडीआरएफ की टीमों ने बचाया। पठानकोट के एसएसपी ने सेना से संपर्क कर हवाई सहायता ली, जिससे 6 लोगों को सुरक्षित निकाला गया।
बाढ़ पीड़ितों की मदद में अमेरिका से जुड़े एनआरआई-एनजीओ सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वर्ल्ड सिख चैंबर ऑफ कॉमर्स (डब्ल्यूएससीसी) फाउंडेशन की टीम ने सेना के साथ मिलकर इन दूरदराज गांवों तक पहुंची और राहत सामग्री वितरित की। उन्होंने आपातकालीन मेडिकल किट्स, दवाइयां और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया। डब्ल्यूएससीसी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन गांवों में किसान अब भी नाव से अपने खेतों तक जाते हैं, और बाढ़ ने पूरे किनारे को बहा दिया है। अन्य एनजीओ जैसे बाबा दीप सिंह सेवा दल भी सक्रिय हैं, जिनका हेल्पलाइन नंबर 9227200100 है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में इन गांवों का दौरा किया और स्थानीय निवासियों से बातचीत की। उन्होंने डीसी पठानकोट श आदित्य उप्पल और एसपी ढिल्लन के साथ मिलकर क्षतिग्रस्त बंधों और संरचनाओं के पुनर्निर्माण के निर्देश दिए। मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।” हालांकि, ग्रामीणों की मुख्य मांग एक पक्का पुल है, जो सीमा क्षेत्र की भौगोलिक चुनौतियों के कारण अब तक नहीं बना।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ऊझ और रावि नदियों के उफान से सीमावर्ती गांवों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। स्थानीय निवासी सुरेश शर्मा और विशाल रिंकू जैसे कार्यकर्ताओं ने सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। पंजाब सरकार ने फ्लड कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं, जिनमें पठानकोट का नंबर 0186-2346944 और 97791-02351 है।
ये गांव न केवल बाढ़ से पीड़ित हैं, बल्कि बुनियादी सुविधाओं की कमी से भी जूझ रहे हैं। एनआरआई-एनजीओ की मदद से फिलहाल राहत कार्य चल रहे हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए पुल निर्माण जरूरी है। ग्रामीणों की उम्मीद है कि उनकी आवाज अब सुनी जाएगी।

