फर्जी दस्तावेजों से मुआवजा लेने वालों पर FIR, लेकिन  खुले घूम रहे आंख बंद कर फाइल बढ़ाने वाले
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फर्जी दस्तावेजों से मुआवजा लेने वालों पर FIR, लेकिन खुले घूम रहे आंख बंद कर फाइल बढ़ाने वाले

गौतम बुध नगर में जमीन का खेल निराला है, कहीं मुआवजा तो कहीं ग्राम समाज की जमीन हड़पना गौतम बुध नगर में आम बात हो चली है। इतना ही नहीं अधिकतर गांवों में पोखर और तालाब भी गायब हो गए हैं। जिला प्रशासन और प्राधिकरणों की फाइल में तालाब दर्ज है लेकिन मौके पर तालाब गायब हो चुके हैं। दरअसल तालाबों पर कब्जा है। जमीन से जुड़ा मामला एक और सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए 42 लाख रुपए का मुआवजा लिया गया है। इसमें केवल मुआवजा लेने वालों की ही गलती नहीं है बल्कि देने वालों की भी लापरवाही है। एफआईआर मुआवजा लेने वालों पर करा कर इतिश्री कर ली गई है, लेकिन जरा सोचिए यदि फर्जी दस्तावेज लगाकर किसानों जमीन मालिकों ने मुआवजा लिया, तो इन दस्तावेजों को जांच-पड़ताल करने वाले क्या सो रहे थे? एडीएम एलए के दफ्तर से फाइल अप्रूव्ड होकर और यमुना प्राधिकरण की सहमति बनने के बाद ही मुआवजा दिया जाता है। एडीएम एलए पर यह पहली बार नहीं है जो इस तरह के आरोप लग रहे हैं, दरअसल फर्जीवाड़े की पूरी साजिश फर्जीवाड़े के दफ्तर से ही रचनी शुरू हो जाती है। एडीएम एलए दफ्तर का ही स्टाफ फाइलों की जांच पड़ताल करता है मुआवजा मिलना चाहिए या नहीं ये सब यही से तय होता है।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़ा
यमुना प्राधिकरण के लेखपाल तनवीर अहमद और किसान हरेंद्र ने रबूपुरा कोतवाली में शिकायत दी और आरोप लगाया कि रबूपुरा में उन्होंने काशीराम और देशराज दो भाइयों को 2019 में जमीन बेचने का करार किया मगर जिस दिन बैनामा होना था दोनों भाई रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के बावजूद बैनामा करने नहीं पहुंचे हरिंदर ने रजिस्ट्रार कार्यालय में उपस्थिति दर्ज कराई और शिकायत की कि पैसे लेने के बावजूद जमीन के मालिक बैनामा करने नहीं आए। इसके बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ हरेंद्र ने अदालत में केस डाल दिया। सूरजपुर स्थित सीनियर डिवीजन में मामला विचाराधीन है इसके बीच खेड़ा मोहम्मदाबाद निवासी सिपाही सुनील को कांशी राम और देशराज ने जमीन बेच दी जानकारी होने पर हरेंद्र ने रजिस्ट्री निरस्त कराने और दाखिल खारिज कराने पर आपत्ति लगा दी इतना ही नहीं हरेंद्र ने 30 अक्टूबर 2020 को दाखिल खारिज को भी निरस्त करा दिया बावजूद इसके सुनील ने पुराने 12 साल और खतौनी आदि लगाकर 42 लाख रुपए ले लिए सुनील ने अफसरों से तथ्य छुपाए इसके बाद मामला खुलता चला गया

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