नए साल पर करें नए कानूनों का स्वागत, ठगों को अब 420 नही 316 कहिए
नए साल का स्वागत नए कानूनों से कीजिए और अंग्रेजों के कानून को बाय-बाय कीजिए। अंग्रेजों के कानून को अब भारत के नए कानून रिप्लेस करने जा रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम संसद में पास होने के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए गए और राष्ट्रपति ने उसे पर मंजूरी दे दी। यह कानून अंग्रेजो के जमाने के थे जो अब तक चले आ रहे थे। 1861 में बने कई कानून आज के परिदृश्य को देखते हुए काफी जटिल लगते थे। मगर अब नए जमाने का रूप देते हुए कानून नए जमाने के हिसाब से ही बना दिए गए हैं। ठगों को अब 420 नहीं कहा जाएगा बल्कि 316 के नाम से पुकारा जाएगा यदि आप किसी को 420 कहते हैं तो लगता था कि ये धोखेबाज या ठग है। अब वह 420 नहीं रह जाएगा। इतना ही नहीं हत्या की धारा 302 को बदल दिया गया है अब हत्या 302 नहीं बल्कि 101 कहलाएगी। किसी ने हत्या की तो उसे पर धारा 101 लागू होगी। कुल 33 अपराधों की सजा बढ़ाई गई है 83 अपराधों में जुर्माना धनराशि बढ़ा दी गई है।
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बताते हैं सिलसिलेवार किस संहिता में क्या बदलाव हुआ है। भारतीय न्याय संहिता जिसने भारतीय दंड संहिता का स्थान लिया है इसमें पहले 511 धाराएं थी लेकिन अब 358 धाराएं हो गई है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की जगह ली है इसमें पहले 484 धाराएं थी अब 531 हो गई है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम इसका नाम वही रखा गया है यानि भारतीय साक्ष्य अधिनियम। इसमें पहले 167 धाराएं थी लेकिन अब 170 कर दी गई है। साक्ष्य तो आप जानते होंगे साक्ष्य का मतलब होता है एविडेंस किसी भी अपराध के मामले में क्या सबूत है और क्या सबूत पुलिस पेश कर रही है।
वह कितना वैलिड है यह सब साक्ष्य इस अधिनियम में लिखे होगा। ज्यादातर खबरों में देखा होगा किसी भी जिले में धारा 144 लागू होती थी तो लोग मानते थे कि अब दंगा फसाद नहीं होगा क्योंकि धारा 144 5 या 5 से अधिक लोगों को एकत्र होने से रोकती थी। कमिश्नरी व्यवस्था में यह धारा पुलिस कमिश्नर के पास होती है जबकि नॉर्मल व्यवस्था यानी जहां डीएम और एसपी होते हैं वहां इस धारा का प्रयोग जिलाधिकारी के विवेक पर आधारित रहता है। यह धारा अब 144 नहीं बल्कि 187 कहलाएगी। देशद्रोह को अपराध की श्रेणी से खत्म कर दिया गया इसकी जगह देश के खिलाफ अपराध नए खंड जोड़ा गया है। महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध पर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, इसलिए एक नया अध्याय भी जोड़ दिया गया है। न्याय संहिता में महिलाओं और 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के खिलाफ दुष्कर्म और अपराधों से निपटने के लिए नई धाराएं हैं और अपराध करने वाले को उम्र कैद या फांसी की हो सकती है।