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Exclusive >> पब्लिक के लिए नहीं विज्ञापन को बने टॉयलेट्स

नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है कि 2 अक्टूबर 2019 गांधी जयंती पर स्वच्छता के लक्ष्य को हासिल किया जाए। इस ओर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी कदम से कदम मिलाकर चल रही है। उत्तर प्रदेश का सबसे हाईटेक शहर नोएडा में स्वच्छता अभियान के नाम पर कदम-कदम पर टॉयलेट बना दिए गए है। ये टॉयलेट आम जनता के इस्तेमाल के लिए नहीं बल्कि आऊटडोर विज्ञापन लगाने के लिए बनाए गए है। ऐसा प्रतीत होता है कि प्राधिकरण अधिकारियों ने ये टेंडर पूरी तरह आंख बंद करके जारी किया है। सेक्टर-18 के आसपास करीब 5 टॉयलेट बनाए गए है जबकि यहां पहले से कई टॉयलेट बने हुए थे। ठीक ऐसे ही नोएडा स्टेडियम के चारो ओर 5 टॉयलेट बनाए गए है। सेक्टर-12-22 चौकी के पास चंद कदमों की दूरी पर दो बड़े टॉयलेट बनाकर उन पर होडिंग्स लगा दिए गए है।

 

जगह-जगह बने टॉयलेट की जरूरत नहीं : डीएम
जिलाधिकारी बीएन सिंह से इस संबंध में जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शहर में जगह-जगह टॉयलेट्स बनने का मामला मेरे संज्ञान में आया है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे स्थान है जहां पहले से ही टॉयलेट बने थे वहां भी नए टॉयलेट बनाए जा चुके है। इस संबंध में नोएडा प्राधिकरण अधिकारियों से बातचीत की जाएगी ताकि शहर की फिजा को बिगडऩे से बचाया जा सके। बिना अनुमति के सड़कों पर होर्डिंग्स नहीं लगाने दिए जाएंगे। एक ही कंपनी को टॉयलेट बनाने का ठेका देना प्राधिकरध अधिकारियों को भी संदेश के घेरे में ला रहा है।

घेर लिए फुटपाथ
सड़क के किनारे फुटपाथ आम जनता के पैदल चलने के लिए बनाए जाते है। जिस तरह से वाहनों के लिए सड़क है ठीक उसी तरह पैदल चलने वालो के लिए फुटपाथ है मगर अब ये फुटपाथ टॉयलेट घर के रूप में तब्दील हो गई है। ज्यादातर स्थानों पर फुटपाथ के बीचो-बीच टॉयलेट बनाए गए है जिससे पैदल चलने वालो का रास्ता अवरुद्ध ही नहीं बल्कि बंद हो गया है।

 

जहां आवश्यकता है वहां पर टॉयलेट्स बनाए गए हैं। दूरी नहीं बल्कि टॉयलेट्स की उपयोगिता को ध्यान में रखा गया है।
– एससी मिश्रा, वर्क सर्किल-2 प्रभारी

 

हरियाली भी खत्म
फुटपाथ के किनारे ग्रीन बेल्ट इसलिए बनाई जाती है कि वाहनों से उत्सर्जित धुंंआ एवं विषैली गैस को कंट्रोल किया जा सके। मगर शहर में कदम-कदम पर कमाई के लिए बनाए गए इन टॉयलेट्स के चलते हरियाली भी खत्म हुई है। जरूरत है कि सड़कों के किनारे हरियाली खत्म करने की बजाए ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। मगर इसके ठीक उलट हो रहा है। होर्डिग्स माफियाओं ने अवैध होर्डिंग्स तोड़े जाने के बाद टॉयलेट बनाने का रास्ता अपनाया है।

नेता और अधिकारियों की सांठगांठ
नोएडा सिटी नहीं बल्कि अब टॉयलेट सिटी कहने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए क्योंकि जिस तरह से दूसरे शहरों में प्राचीन इमारते एवं बाजार आकर्षण का और उनकी लोकप्रियता की वजह होते है ठीक उसी तरह नोएडा कदम-कदम पर कमाई के लिए बनाए गए टॉयलेट के लिए जाना जाएगा। बताया जा रहा है कि नोएडा में कदम-कदम पर बने टॉयलेट्स के लिए महज दो कंपनियों को ही ठेका दिया गया है। इन दो में से एक कंपनी के लिए लगभग 80 प्रतिशत टॉयलेट बनाकर उन पर विज्ञापन लगाने का काम है। बताया जा रहा है कि टॉयलेट बनाने वाली कंपनी के मालिक ने नेता और अधिकारियों से सांठगांठ कर नियमों को दर किनार करते हुए टॉयलेट बना लिए है।

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