Ethanol Blend Petrol News : भारत में पर्यावरण संरक्षण और तेल आयात पर निर्भरता कम करने के लिए पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण (E20) को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, E20 पेट्रोल के उपयोग से वाहनों के माइलेज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर वाहन मालिकों में चिंता बढ़ रही है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल से गाड़ियों का माइलेज कम हो रहा है और इंजन को नुकसान पहुंच सकता है। इस मुद्दे पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्पष्ट जवाब दिया है।
माइलेज पर प्रभाव
पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, एथेनॉल की ऊर्जा घनत्व (energy density) पेट्रोल की तुलना में कम होती है, जिसके कारण E20 पेट्रोल से माइलेज में मामूली कमी देखी जा सकती है। मंत्रालय का कहना है कि E10 (10% एथेनॉल) के लिए डिज़ाइन किए गए और E20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों में माइलेज में 1-2% की कमी हो सकती है, जबकि अन्य वाहनों में यह कमी 3-6% तक हो सकती है। हालांकि, बेहतर इंजन ट्यूनिंग और E20-संगत सामग्रियों के उपयोग से इस कमी को और कम किया जा सकता है।
पुराने वाहनों पर असर
2022 या उससे पहले खरीदे गए वाहनों के मालिकों में यह चिंता अधिक है। Local Circles के एक सर्वे में शामिल 22,282 लोगों में से 44% ने E20 पेट्रोल के अनिवार्य उपयोग का विरोध किया, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे माइलेज कम हो रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि पुराने वाहनों में E20 के लिए अनुकूलता की कमी के कारण माइलेज और इंजन प्रदर्शन पर हल्का असर पड़ सकता है। हालांकि, मंत्रालय ने दावा किया कि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (IIP) के परीक्षणों में E20 से पुराने वाहनों में कोई महत्वपूर्ण नुकसान नहीं देखा गया।
E20 सुरक्षित और पर्यावरण के लिए फायदेमंद
मंत्रालय ने उन दावों को खारिज किया है, जिनमें कहा गया कि E20 से इंजन को नुकसान होता है। उनके अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों में 1 लाख किलोमीटर तक हर 10,000 किलोमीटर पर किए गए परीक्षणों में E20 से वाहनों की शक्ति, टॉर्क या माइलेज पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। इसके अलावा, E20 की उच्च ऑक्टेन संख्या (108.5 बनाम पेट्रोल की 84.4) आधुनिक उच्च संपीड़न अनुपात वाले इंजनों के लिए बेहतर प्रदर्शन प्रदान करती है।
पर्यावरणीय लाभ और भविष्य की योजनाएं
एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल से CO2 उत्सर्जन में कमी आती है। नीति आयोग के एक अध्ययन के अनुसार, गन्ना और मक्का आधारित एथेनॉल से क्रमशः 65% और 50% कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है। भारत ने 2025 में ही 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया, जो पहले 2030 के लिए निर्धारित था। अब सरकार E27 (27% एथेनॉल) की दिशा में काम कर रही है, जिसके लिए मानक तैयार किए जा रहे हैं।
वाहन मालिकों की शिकायतें
कई वाहन मालिकों का कहना है कि E20 पेट्रोल की कीमत सामान्य पेट्रोल जितनी ही है, लेकिन माइलेज कम होने से उनकी लागत बढ़ रही है। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने दावा किया कि पहले 95% शुद्धता वाला पेट्रोल 100 रुपये में मिलता था, लेकिन अब 80% शुद्धता वाला पेट्रोल उसी कीमत पर मिल रहा है। इसके अलावा, पुराने वाहनों में रबर के पुर्जों या गास्केट को 20,000-30,000 किलोमीटर के बाद बदलने की जरूरत पड़ सकती है, जो अतिरिक्त खर्च बढ़ा सकती है।
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