क्या आप जानते है गौतमबुद्ध नगर में 211 तालाबों की 1.19 लाख वर्ग मीटर जमीन पर भूमाफियाओं ने किया अवैध कब्जा

गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए लगातार कोशिश की जा रही है। इन कोशिशों की पोल तब खुलती है जब पता चलता है कि लोगों ने सरकारी मुलाजिमों के साथ मिलकर ही सरकारी जमीन पर कब्जा किया हुआ है। दरअसल ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें गौतमबुद्ध नगर जिले में 211 तालाबों की 1.19 लाख वर्ग मीटर जमीन पर अवैध कब्जा करने का मामला सामने है। कुछ पर भूमाफियाओं का कब्जा है तो कुछ प्राधिकरण के कब्जे में है। जिला प्रशासन ने बेशकीमती जमीन को मुक्त कराने की कार्रवाई की, मगर अब तक सभी तालाब को कब्जा मुक्त नहीं किया जा सका है। हालांकि प्रशासन ने 1.19 लाख वर्ग मीटर जमीन पर कब्जा करने वालों को हटाने का आदेश जारी कर दिया है। प्रशासन का दावा है कि पुलिस बल मिलने के बाद कब्जा हटाया जाएगा।

एनजीटी में चल रहा है केस
बता दें कि एनजीटी में अभिष्ट कुसुम गुप्ता बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य का केस चल रहा है। याचिका पर एनजीटी ने गौतमबुद्ध नगर प्रशासन से तालाबों पर रिपोर्ट मांगी थी। हाल ही में जिलाधिकारी ने 120 पन्नों की रिपोर्ट दाखिल की है। तीनों तहसील में कुल 1018 तालाब हैं, इनमें से 211 पर अतिक्रमण है। जेवर तहसील में 293 में से 29 तालाब की 2.8163 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है, यहां 168 वाद दाखिल हैं। इनमें सभी वाद में बेदखली के आदेश जारी हो चुके हैं। वहीं दादरी तहसील के 480 तालाब में से 134 पर अतिक्रमण है। इन 134 तालाबों की 3.6956 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा है।

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यहां 283 वाद दर्ज हैं और इनमें से 249 में बेदखली का आदेश जारी हो चुका है। वहीं सदर तहसील के 245 में से 48 तालाबों की 5.4139 हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा है। सदर तहसील में 353 वाद दर्ज हैं और सभी में बेदखली का आदेश भी जारी हो चुका है। अफसरों ने बताया कि तालाबों से अवैध कब्जा हटाने के लिए राजस्व, पुलिस व प्राधिकरण की संयुक्त टीमों का गठन किया गया है, जो कई जगह अतिक्रमण हटा चुकी है। कुछ जगह पर मकान बने हैं, वहां परेशानी आ रही है। जेवर में तीन गांवों के तालाबों से कुछ हिस्सों से अतिक्रमण हटाया गया है। वहीं सदर तहसील में पांच गांवों के तालाब से अतिक्रमण हटाया गया है। वहां पर सौंदर्यीकरण का काम चल रहा है। वहीं प्रशासन ने बाकी कार्रवाई के लिए 8 माह का समय मांगा है। वही प्रशासन की और से कुछ तालाबों को एनजीओ को दे दिया गया है ताकि उनका रख रखाव बहेतर हो सकें।

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