DMRC के प्रबंध निदेशक डॉ. विकास कुमार, दिल्ली मेट्रो लेडीज वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन (DLWO) की अध्यक्ष डॉ. शालिनी सिंह तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी इस नाटक को बड़ी रुचि से देखने पहुंचे। दर्शकों ने बच्चों के जोशीले अभिनय पर बार-बार तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। नाटक ने अंधविश्वास, ऑनलाइन धोखाधड़ी और मीडिया के दुरुपयोग जैसी समसामयिक समस्याओं को व्यंग्यात्मक ढंग से उकेरा, जो दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ सोचने पर मजबूर कर गया।
सलाम बालक ट्रस्ट, जो 1989 से दिल्ली और एनसीआर में सड़क पर रहने वाले बच्चों के लिए काम कर रहा है, ने इस नाटक के माध्यम से बच्चों की कला और अभिनय क्षमता को निखारने का प्रयास किया। ट्रस्ट के अनुसार, DMRC बाल गृह (तिस हजारी मेट्रो स्टेशन के पास स्थित) में 100 से अधिक लड़कों को आश्रय, शिक्षा और कौशल विकास की सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यह बाल गृह 2010 में DMRC की पहल से स्थापित हुआ था, जो ट्रस्ट के अन्य केंद्रों जैसे आरुषि (लड़कियों के लिए) और उदान के साथ मिलकर सालाना 8,500 से अधिक बच्चों की मदद करता है। ट्रस्ट के थिएटर, नृत्य और कठपुतली प्रशिक्षण कार्यक्रम बच्चों में टीम वर्क और आत्मविश्वास जगाते हैं।
डॉ. विकास कुमार ने प्रदर्शन के बाद कहा, “ये बच्चे न केवल अपनी कला से हमें प्रेरित करते हैं, बल्कि समाज की वास्तविक चुनौतियों पर अपनी नजर रखते हैं। DMRC हमेशा ऐसे प्रयासों का समर्थन करता रहेगा।” वहीं, डॉ. शालिनी सिंह ने बच्चों की तारीफ करते हुए कहा कि यह नाटक कमजोर वर्ग के बच्चों की अनंत संभावनाओं का प्रतीक है।
यह आयोजन ‘टैलेंट ब्लूम बियॉन्ड बैरियर्स’ थीम के अनुरूप था, जो दर्शाता है कि उचित मार्गदर्शन से कोई भी बच्चा अपनी प्रतिभा से सीमाओं को पार कर सकता है। सलाम बालक ट्रस्ट के निदेशक ने बताया कि यह नाटक पिछले चार वर्षों से चल रहा वार्षिक उत्पादन है, जिसका निर्देशन पंकज गुप्ता ने किया। अंतरराष्ट्रीय दूतावासों और सांस्कृतिक संगठनों से भी इसकी सराहना मिली है।
DMRC और सलाम बालक ट्रस्ट का यह सहयोग न केवल बच्चों को सुरक्षित आश्रय देता है, बल्कि उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए रचनात्मक मंच भी उपलब्ध कराता है। ऐसे प्रयास समाज को यह संदेश देते हैं कि हर बच्चे में एक सितारा छिपा है, बस उसे चमकने का अवसर चाहिए।

