ghaziabad news जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने वीरवार को जनपद स्तरीय बर्ड फ्लू टाक्स फोर्स व जनपद स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति की बैठक में बर्ड फ्लू के लक्षण व बचाव के लिए आवश्यक तैयारियों, सावधानियों एवं सतर्कता के लिए आवश्यक दिशा—निर्देश दिए।
उन्होने कहा कि हमें जमीनी स्तर पर कार्य करते हुए सभी जनपदवासियों को बर्ड फ्लू के प्रति जागरूक करना हैं, कि पक्षियों में इसके लक्षण किस प्रकार से देखे जा सकते हैं और इससे बचाव हेतु क्या—क्या सावधानियां बरतनी है।
उन्होंने बर्ड फ्लू के लक्षणों के बारे में बताया कि बर्ड फ्लू से संक्रमित पक्षी की आंख व नाक से लाल रंग का पानी निकलता है, उन्हें हरे व लाल रंग का पतला दस्त (बीट) होता है। पक्षी को ज्वर आता है। कलगी बैठक व पैर बैंगनी हो जाते हैं। पक्षियों के गर्दन तथा आंखों के निचले हिस्से में सूजन आ जाती है। इसके साथ ही अंडा उत्पादन कम, श्वास लेने में कठिनाई, छींक, खांसी, एक जगह पर बैठे रहना, सिर एवं गर्दन में सूजन आदि हो जाना मुख्य लक्षण हैं। इससे प्रभावित पक्षियों की मृत्यु हो जाती है।
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उन्होंने कहा कि बर्ड फ्लू से बचाव के लिए बायोसिक्योरिटी, साफ—सफाई रखना। मुर्गी, बत्तख, मछली तथा सूकर पास—पास ना पालें। बीमार पक्षियों के बीट से बचें। मृत प्रवासी पक्षियों से प्रभावित कुक्कुट प्रक्षेत्रों से तथा एचपीएआई से ग्रसित पक्षियों के शव विच्छेदन से बचें। यदि कुक्कुट पालन का कार्य पूरी बायोसिक्योरिटि अपनाते हुए संतुलित आहार, स्वस्थ चूजों, उत्तम रख—रखाव किया जाए।
बर्ड फ्लू के प्रति जागरूक रहना महत्वपूर्ण
जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने विशेष रूप से पशु पालन विभाग, स्वास्थ्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, पंचायती राज विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत विभाग, सिंचाई विभाग समेत अन्य विभागों को निर्देशित किया कि किसी भी कारण से जनपद में बर्ड फ्लू ना फैलें, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाते हुए जनता में बर्ड फ्लू के लक्षणों और उपायों की जानकारी दी जाएं। जिलाधिकारी ने सभी जनपदवासियों से अपील की है कि यदि बर्ड फ्लू से सम्बंधित कोई पक्षी या ऐसा कोई मामला संज्ञान में आता है तो वह इसकी जानकारी पशु पालन विभाग को अवश्य दें। किसी भी बीमारी को रोकना और सभी का बचाव कराना हम सभी की नैतिक व अहम जिम्मेदारी है।
जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह ने कहा कि जनपद गाजियाबाद अन्तर्गत शत्रु सम्पत्तियों की कृषि भूमि पर यदि कब्जा है तो उसे कब्जा मुक्त कराकर और जो खाली है, इसके साथ ही एलएमसी की भूमि पर गोवंशों के लिए चारा उत्पादन किया जाएं। उन्होंने सभी उप—जिलाधिकारियों, तहसीलदारों, ईओ, खण्ड विकास अधिकारियों को निर्देशित किया कि उक्त कृषि भूमियों पर चारा उत्पादन किया जाएं।
समीक्षा बैठक में यह रहे मौजूद
इस मौके पर मुख्य विकास अधिकारी, पुलिस अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, उप—जिलाधिकारी, एसीएमओ, तहसीलदार, ईओ, जिला सूचना अधिकारी सहित सम्बंधित विभागों के अधिकारी/प्रतिनिधि/कर्मचारी मौजूद रहे।
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