Dharali News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के हर्षिल घाटी में स्थित धराली क्षेत्र में मंगलवार को बादल फटने की भीषण घटना ने भारी तबाही मचाई है। इस प्राकृतिक आपदा ने धराली गांव और इसके आसपास के इलाकों को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे कई घर, होटल और दुकानें मलबे में तब्दील हो गए। खबरों के मुताबिक, इस हादसे में 50 से 60 लोगों के लापता होने की आशंका जताई जा रही है, जबकि 12 लोगों के मलबे में दबे होने की सूचना है। अभी तक कम से कम चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है।
हर्षिल के पास खीर गंगा नाले में बादल फटने से अचानक जलस्तर बढ़ गया, जिसके साथ भारी मात्रा में मलबा और पानी तेजी से धराली कस्बे में घुस आया। इस विनाशकारी बाढ़ ने धराली मार्केट को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। कई होटल, होमस्टे और घर बह गए, जिससे स्थानीय लोगों और मजदूरों के बीच अफ़रा तफरी मचा गई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे महज कुछ सेकंड में तेज बहाव और मलबे ने पूरे क्षेत्र को कैसे तबाह कर दिया।
राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, सेना और अन्य आपदा प्रबंधन टीमें तुरंत मौके पर पहुंच गईं। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने बताया कि राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर चल रहे हैं। भटवाड़ी और ऋषिकेश से अतिरिक्त टीमें धराली पहुंच चुकी हैं और लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। प्रशासन ने लोगों से नदी किनारों से दूर रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। गंगोत्री धाम का जिला मुख्यालय से संपर्क भी कट गया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
मुख्यमंत्री ने जताया दुख, केंद्र से मांगी मदद
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने से हुए भारी नुकसान का समाचार अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है। राहत और बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, जिला प्रशासन और अन्य टीमें युद्ध स्तर पर जुटी हैं। मैं लगातार वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हूं और स्थिति की गहन निगरानी कर रहा हूं। ईश्वर से सभी के सकुशल होने की प्रार्थना करता हूं।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री धामी से बात कर केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।
क्यों हुई इतनी तबाही?
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, धराली क्षेत्र में खीर गंगा नाले का ढाल बहुत तीव्र है, जिसके कारण भारी बारिश में मलबा तेजी से नीचे बहता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर्स पर पड़ने वाला प्रभाव और अनियोजित निर्माण इस तरह की आपदाओं को और बढ़ावा दे रहे हैं।
मौसम विभाग की चेतावनी
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले ही उत्तरकाशी सहित उत्तराखंड के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की थी। मंगलवार को भी देहरादून, टिहरी, बागेश्वर, पौड़ी, और नैनीताल जैसे जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसी भयावह स्थिति पहले कभी नहीं देखी। धराली, जो गंगोत्री यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, अब मलबे और तबाही के बीच अपनी पहचान खो चुका है। प्रशासन और राहत टीमें लापता लोगों को खोजने और प्रभावितों को सहायता प्रदान करने में जुटी हैं, लेकिन भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राहत कार्यों में चुनौतिओ का सामना करना पड़ रहा है।

