ABRSM के महासचिव गीता भट्ट द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को लिखे पत्र में कहा गया है कि SIR प्रक्रिया लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन BLO शिक्षकों को 16-18 घंटे की फील्ड और पोर्टल वर्क, तकनीकी खराबियां, नेटवर्क की कमी और अधिकारियों की धमकियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे शिक्षकों में डिप्रेशन, तनाव और आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं। संगठन ने दावा किया कि कई राज्यों में अधिकारियों के अपमानजनक व्यवहार से मानसिक तनाव चरम पर पहुंच गया है, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
ABRSM, जो 1988 में स्थापित हुआ और 29 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में 13.5 लाख शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है, ने पत्र में चार मुख्य मुद्दे उठाए। पहला, BLOs को अक्सर व्यक्तिगत संसाधनों पर निर्भर रहना पड़ता है क्योंकि BLO ऐप और पोर्टल बार-बार क्रैश हो जाते हैं, OTP फेल होते हैं और डेटा अपलोड नहीं होता। दूसरा, अवास्तविक लक्ष्यों को पूरा न करने पर वेतन रोकना, शो-कॉज नोटिस, निलंबन, FIR की धमकी और अपशब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है। तीसरा, जनता का असहयोग क्योंकि 20 साल पुराने दस्तावेज न होने पर लोग BLOs से झगड़ते हैं, और आयोग ने जन जागरूकता अभियान ठीक से नहीं चलाया। चौथा, दुर्गम पहाड़ी, रेगिस्तानी और ग्रामीण इलाकों में अतिरिक्त BLOs की कमी।
पत्र में मांग की गई है कि SIR की समय सीमा बढ़ाई जाए ताकि तनाव-रहित और सटीक काम हो सके। SIR के दबाव से असामयिक मौत या आत्महत्या करने वाले BLOs के परिवार को 1 करोड़ रुपये का अनुग्रह मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाए। सभी मामलों की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए। साथ ही, BLOs को तकनीकी सहायक, टैबलेट/लैपटॉप, यात्रा भत्ता और सम्मानजनक अतिरिक्त मानदेय प्रदान किया जाए। अधिकारियों को धमकी, उत्पीड़न या दंडात्मक कार्रवाई से रोकने के स्पष्ट निर्देश दिए जाएं।
यह पत्र SIR अभियान के बीच आया है, जो नवंबर 2025 से दिसंबर 2025 तक नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चल रहा है। प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) के अनुसार, इसमें 5.3 लाख BLOs, 7.64 लाख बूथ लेवल एजेंट्स (BLA), 10,448 EROs/AEROs और 321 DEOs लगे हैं, जो 321 जिलों और 1,843 विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर रहे हैं।
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SIR शुरू होने के बाद से देशभर में कम से कम 16-28 BLOs की मौतें (हार्ट अटैक, तनाव या आत्महत्या से) रिपोर्ट हुई हैं। गुजरात में चार शिक्षक BLOs की मौत के बाद ABRSM ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को भी पत्र लिखा, जहां 90% BLOs शिक्षक ही हैं। गुजरात में एक BLO ने इस्तीफा दे दिया, जबकि नोएडा में एक शिक्षिका ने दबाव के कारण त्यागपत्र दिया।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी ऐसी घटनाएं सामने आईं। पश्चिम बंगाल में तीन BLOs की आत्महत्या के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने CEC को पत्र लिखकर SIR रोकने की मांग की, इसे “अनियोजित और खतरनाक” बताया। उन्होंने दावा किया कि 28 मौतें SIR से जुड़ी हैं और BLOs को नौकरी छिनने की धमकी दी जा रही है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने SIR को “थोपी हुई तानाशाही” करार दिया, कहा कि यह लोकतंत्र पर हमला है। तमिलनाडु में DMK और ADR ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने 26 नवंबर को सुनवाई में BLO आत्महत्याओं पर बहस सुनी, जहां ADR के प्रशांत भूषण ने दबाव का हवाला दिया, लेकिन EC के वकील ने इसे रिकॉर्ड में न होने का हवाला दिया। CJI सूर्यकांत ने बिहार में डिलीशन पर कोई आपत्ति न होने का उल्लेख किया। कोर्ट ने केरल SIR स्थगित करने की याचिकाओं पर EC और राज्य चुनाव आयोग को जवाब मांगे।
चुनाव आयोग ने BLO मौतों पर राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (CEO) से रिपोर्ट मांगी है। पश्चिम बंगाल CEO कार्यालय पर BLOs के प्रदर्शन को “सुरक्षा उल्लंघन” बताते हुए कोलकाता पुलिस से रिपोर्ट तलब की। EC ने कहा कि SIR संवैधानिक दायित्व है, लेकिन यदि उत्पीड़न साबित हुआ तो कार्रवाई होगी। केरल में 51,085 मतदाता अनट्रेसेबल पाए गए, CEO ने BLO-BLA मीटिंग्स के आदेश दिए। गुजरात EC ने BLOs के वीडियो जारी कर दावा किया कि काम आसान है।
शिक्षक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। ABRSM ने कहा कि शिक्षकों को गर्भवती, 45-50 वर्ष से ऊपर या दिव्यांग होने पर छूट दी जाए। राजनीतिक दलों ने भी EC पर पक्षपात का आरोप लगाया। विशेषज्ञों का कहना है कि SIR, जो सामान्यत: तीन साल में होता है, अब तीन महीने में पूरा करने का दबाव BLOs पर असर डाल रहा है। EC ने जन जागरूकता बढ़ाने का वादा किया है, लेकिन समय सीमा पर फैसला बाकी है।
यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गरमाता जा रहा है, जहां SIR को वोटर फ्रॉड रोकने का हथियार बताया जा रहा है। ABRSM ने अपील की कि BLOs की गरिमा बरकरार रखी जाए, वरना शिक्षक समुदाय का विश्वास डगमगा सकता है।

