फिर से आरएसएस पर उठी प्रतिबंध की मांग: खरगे ने पटेल का हवाला देकर कहा- ‘मेरी राय में बैन होना चाहिए’, अखिलेश ने चैटजीपीटी से पूछा- संघ क्यों बैन हुआ था?

Demands for a ban on the RSS have been raised. New: सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर राजनीतिक तापमान अचानक चढ़ गया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाने की मांग दोहराई, तो समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आधुनिक तकनीक चैटजीपीटी का सहारा लेकर संघ की पुरानी बैन पर तंज कसा। दोनों नेताओं ने पटेल के 1948 के पत्र का जिक्र कर भाजपा पर इतिहास को तोड़-मरोड़ने का आरोप लगाया। भाजपा ने इसे ‘पाखंड’ बताकर कड़ा पलटवार किया।

खरगे का बयान: ‘आरएसएस जहर फैला रहा, पटेल ने ही बैन किया था’
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को यहां प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मेरी निजी राय में आरएसएस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। यह संगठन जहर फैला रहा है और देश में कानून-व्यवस्था की अधिकांश समस्याओं के लिए भाजपा-आरएसएस जिम्मेदार हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पटेल जयंती वाले बयान पर पलटवार किया, जहां मोदी ने नेहरू पर कश्मीर एकीकरण में बाधा डालने का आरोप लगाया था।

खरगे ने पटेल का 1948 का पत्र उद्धृत किया, जिसमें तत्कालीन गृह मंत्री ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखा था कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद आरएसएस ने मिठाइयां बांटकर खुशी मनाई और नफरत का माहौल बनाया। “पटेल ने ही आरएसएस पर बैन लगाया था। नेहरू और पटेल के बीच कभी दरार नहीं थी, दोनों एक-दूसरे की तारीफ करते थे। भाजपा इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है।” उन्होंने 9 जुलाई 2024 को मोदी सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस कार्यक्रमों में भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का जिक्र कर इसे पलटा जाने की मांग की।

खरगे ने इंदिरा गांधी को ‘लौह महिला’ और पटेल को ‘लौह पुरुष’ बताते हुए कहा कि दोनों ने देश की एकता के लिए योगदान दिया। सोनिया और राहुल गांधी के साथ इंदिरा को श्रद्धांजलि दी। कर्नाटक में उनके बेटे प्रियंक खरगे ने भी सरकारी संस्थानों में आरएसएस गतिविधियों पर रोक लगाने की मांग की है, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे स्थगित कर दिया।

अखिलेश का तंज: ‘चैटजीपीटी कहता है- गांधी हत्या में संघ की भूमिका से बैन’
उधर, लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने चटपटा तंज कसा। उन्होंने कहा, “चैटजीपीटी से पूछिए तो पता चलेगा कि हिंदू महासभा और आरएसएस पर गांधीजी की हत्या में कथित भूमिका के कारण बैन लगा था।”

अखिलेश ने पटेल का हवाला देकर कहा, “आज के दौर में एक पटेल जैसा नेता चाहिए जो आरएसएस की विचारधारा पर फिर से बैन लगा दे।”

उन्होंने बैन हटाने पर लिखित आश्वासन का जिक्र किया और कहा, “सपा सत्ता में आई तो पटेल के नाम पर यूनिवर्सिटी बनाएंगे।” अखिलेश ने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कानपुर के अखिलेश दुबे मामले का जिक्र कर कहा, “सरकार डर के मारे दुबे को जिंदा रख रही है, ताकि हत्या का सच न खुले।” मेरठ में कारोबारियों को ‘रिटर्न गिफ्ट’ मिलने का भी उल्लेख किया, जो कथित तौर पर भाजपा की हार का संकेत बता रहे हैं।
अखिलेश ने बिहार चुनाव अभियान की शुरुआत की घोषणा की, जो 1 नवंबर से होगी।

भाजपा का पलटवार: ‘कांग्रेस का पाखंड, पटेल को अपमानित कर रहे’
भाजपा ने खरगे के बयान को ‘ऐतिहासिक अज्ञानता’ और ‘पाखंड’ बताया। प्रवक्ता सीआर केसवान ने कहा, “पटेल ने आरएसएस को कभी निशाना नहीं बनाया, बल्कि नेहरू युग में ही बैन हट गया। कांग्रेस अब पटेल की विरासत चुरा रही है।” उन्होंने मोदी के ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ संदेश का जिक्र कर कहा कि भाजपा ही पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि दे रही है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भी कहा, “पटेल को पर्याप्त सम्मान न देने वाली कांग्रेस अब उनका नाम ले रही है।”

पृष्ठभूमि: 1948 का बैन और वर्तमान विवाद
1948 में गांधी हत्या के बाद पटेल सरकार ने आरएसएस पर अस्थायी बैन लगाया, जो कुछ महीनों बाद हट गया। विपक्ष का कहना है कि आरएसएस की विचारधारा संविधान-विरोधी है, जबकि समर्थक इसे राष्ट्रवादी संगठन बताते हैं। कर्नाटक में आरएसएस शाखाओं पर रोक की कोशिशें कोर्ट में अटकीं। यह विवाद राष्ट्रीय एकता दिवस पर भड़का, जब मोदी ने कांग्रेस पर ‘गुलामी की मानसिकता’ का आरोप लगाया।

विपक्षी दलों की यह एकजुटता 2025 के चुनावी दौर में भाजपा को घेरने की रणनीति लग रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बहस इतिहास और वर्तमान कानून-व्यवस्था पर केंद्रित रहेगी।

यहां से शेयर करें