दिल्ली में सर्दी से पहले हवा हुई जहरीली: वाहनों का धुआं और धूल बने सांसों के दुश्मन

Delhi’s air turns toxic ahead of winter News: राजधानी दिल्ली में सर्दी का आगमन होने से पहले ही हवा की गुणवत्ता में भारी गिरावट देखने को मिल रही है। बढ़ते वाहनों का धुआं, सड़कों पर उड़ती धूल और अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियों ने दिल्ली की फिजा को जहरीला बना दिया है। यह स्थिति दिल्लीवासियों के लिए सांस लेना मुश्किल कर रही है, जिससे फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

वायु प्रदूषण के मुख्य कारण
वायु गुणवत्ता प्रबंधन की निर्णय सहायता प्रणाली की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को दोपहर 3 बजे दिल्ली की हवा 36.802% प्रदूषित थी, जिसमें से 19.882% हिस्सेदारी वाहनों से निकलने वाले धुएं की थी। इसके अलावा, सड़कों पर उड़ती धूल (1.293%), निर्माण कार्य (2.614%), कूड़ा जलाना (1.795%), और आवासीय इलाकों से होने वाला प्रदूषण (4.839%) भी हवा को दूषित करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि प्रदूषण के इन कारकों पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो नवंबर-दिसंबर में स्थिति और गंभीर हो सकती है।

पिछले सप्ताह का AQI
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार खराब स्थिति में रहा। 15 अक्टूबर को AQI 233 (खराब श्रेणी) दर्ज किया गया, जबकि 9 अक्टूबर को यह 100 (संतोषजनक) था। यह तेजी से बिगड़ती हवा की गुणवत्ता की गंभीरता को दर्शाता है।

ग्रेप-1 की अनदेखी, हालात चिंताजनक
दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को AQI के खराब श्रेणी में पहुंचने के बाद केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के पहले चरण को लागू किया। हालांकि, बुधवार को सड़कों पर खुले में कूड़ा जलना, निर्माण कार्यों में नियमों की अनदेखी और धूल का गुबार इस बात का सबूत है कि इन प्रतिबंधों का जमीनी स्तर पर कोई खास असर नहीं हो रहा।

कूड़े में आग से बढ़ रही परेशानी
दिल्ली फायर सर्विस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल 1 जनवरी से 30 सितंबर तक कूड़े में आग लगने की 2653 घटनाएं दर्ज की गईं। अप्रैल में सबसे ज्यादा 1030 कॉल दर्ज हुईं। कूड़े में आग से निकलने वाली जहरीली गैसें, जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड, हवा को और जहरीला बना रही हैं। दिल्ली फायर सर्विस ने लोगों से अपील की है कि कूड़ा जलाने की घटनाओं की सूचना तुरंत दी जाए ताकि इसे रोका जा सके।

ग्रेप के तहत प्रतिबंध
वायु गुणवत्ता के आधार पर ग्रेप के चार चरण लागू किए जाते हैं:
• ग्रेप-1 (AQI 201-300): खराब हवा की स्थिति में लागू।
• ग्रेप-2 (AQI 301-400): डीजल जनरेटर पर रोक, पार्किंग शुल्क में वृद्धि, और CNG/इलेक्ट्रिक बसों की संख्या बढ़ाना।
• ग्रेप-3 (AQI 401-450): निर्माण और विध्वंस कार्यों पर सख्त प्रतिबंध।
• ग्रेप-4 (AQI 450 से अधिक): ट्रकों और डीजल वाहनों पर रोक, स्कूल-कॉलेज बंद करना, और ऑड-ईवन योजना लागू करना।

प्रदूषण के कारण और समाधान
पर्यावरण विशेषज्ञ शांभवी शुक्ला के अनुसार, सर्दियों में कम हवा की गति के कारण प्रदूषक कण हवा में फंस जाते हैं, जिससे PM 2.5 और PM 10 जैसे हानिकारक तत्व बढ़ जाते हैं। वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य, और कूड़ा जलाना प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। इसके अलावा, दीपावली के दौरान पटाखों का उपयोग और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं स्थिति को और खराब कर सकती हैं।

आगे क्या?
पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि यदि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले महीनों में दिल्ली में स्मॉग और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। सरकार और प्रशासन को कूड़ा जलाने पर सख्ती, निर्माण कार्यों पर निगरानी, और वाहन उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है। दिल्लीवासियों से भी अपील की जा रही है कि वे सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें और कूड़ा जलाने से बचें।
दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए सामूहिक प्रयासों की जरूरत है, वरना सर्दियों में सांस लेना और मुश्किल हो सकता है।

यहां से शेयर करें