उच्च न्यायालय ने कहा कि परीक्षाओं में तेजी से बढ़ती नकल करने की प्रवृति प्लेग जैसी महामारी की तरह है, जो न सिर्फ समाज बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली को बर्बाद कर सकती है। न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि परीक्षा में नकल और कदाचार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि परीक्षा में कदाचार व नकल करने वाले छात्र राष्ट्र का निर्माण नहीं कर सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि परीक्षा में नकल और कदाचार अपनाने वाले छात्रों को किसी भी कीमत पर राहत नहीं दी जानी चाहिए। यदि इसे अनियंत्रित छोड़ दिया जाए या नरमी दिखाई जाती है, तो इसके हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। पीठ ने परीक्षा में नकल करने के मामले में इंजीनियरिंग के एक छात्र को राहत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है।
न्यायालय ने कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए शिक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, ऐसे में इसमें सुचिता का होना अनिवार्य है। उच्च न्यायालय ने एकलपीठ के उस फैसले को सही ठहाराया है, जिसमें परीक्षा में नकल और कदाचार अपनाने के आरोप में इंजीनियरिंग के एक छात्र द्वारा दी गई परीक्षा को रद्द किए जाने के मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया गया था। न्यायालय ने कदाचार के मामले में छात्र के दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा को रद्द कर दिया था।