Lieutenant Governor/Advocate News: दिल्ली पुलिस ने एक नया सर्कुलर जारी कर पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को आपराधिक मामलों में गवाही या साक्ष्य के लिए अदालतों में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया है। इस सर्कुलर के साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गवाही देने की अनुमति को वापस ले लिया गया है। यह फैसला दिल्ली के वकीलों की लंबे समय से चली आ रही मांग को मान लिया है, जिन्होंने उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना के उस नोटिफिकेशन का कड़ा विरोध किया था, जिसमें पुलिस अधिकारियों को पुलिस थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गवाही देने की छूट दी गई थी। इस सर्कुलर के बाद शायद वकील अपनी हड़ताल समाप्त कर दे, जिससे दिल्ली की जिला अदालतों में कामकाज सामान्य होने की उम्मीद है।
क्या था विवाद?
पिछले महीने 13 अगस्त 2025 को उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें दिल्ली के सभी 226 पुलिस थानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए “नामित स्थल” घोषित किया गया था। इस आदेश के तहत पुलिस अधिकारी अपने थानों से ही वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में गवाही दे सकते थे। इस फैसले का उद्देश्य पुलिसकर्मियों का समय और संसाधन बचाना था, क्योंकि दिल्ली पुलिस के अनुसार, रोजाना लगभग 2,000 पुलिसकर्मी विभिन्न मामलों में गवाही देने के लिए अदालतों में जाते हैं।
हालांकि, वकील समुदाय ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया। वकीलों का तर्क था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से गवाही देने की व्यवस्था न केवल न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को प्रभावित करती है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार का भी उल्लंघन करती है। वकीलों ने दावा किया कि पुलिस थानों से गवाही देने पर गवाहों पर सहकर्मियों या वरिष्ठ अधिकारियों का दबाव पड़ सकता है, जिससे गवाही की स्वतंत्रता और विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है।
वकीलों की हड़ताल और विरोध
एलजी के नोटिफिकेशन के खिलाफ दिल्ली की जिला अदालतों के वकीलों ने 21 अगस्त 2025 को अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। इस दौरान दिल्ली की जिला अदालतों में कामकाज ठप हो गया और कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई टल गई। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (DHCBA) ने भी इस अधिसूचना का विरोध करते हुए अपने सदस्यों से अदालत में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन करने की अपील की थी। इसके अलावा, वकील कपिल मदन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की, जिसमें इस आदेश को संविधान के खिलाफ और न्यायिक प्रक्रिया की गंभीरता को कम करने वाला बताया गया।
वकीलों का कहना था कि गवाह की व्यक्तिगत उपस्थिति से जिरह करना आसान होता है और यह न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखता है। दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा था कि यह खुली अदालत प्रणाली को प्रभावित करता है और गवाह की प्रत्यक्ष मौजूदगी ही न्याय की गारंटी है।
दिल्ली पुलिस का नया सर्कुलर
वकीलों के लगातार विरोध और हड़ताल के बाद दिल्ली पुलिस ने 4 सितंबर 2025 को एक नया सर्कुलर जारी किया, जिसमें 13 अगस्त के नोटिफिकेशन में आंशिक संशोधन किया गया। इस सर्कुलर में स्पष्ट किया गया कि अब पुलिस अधिकारी और कर्मचारी आपराधिक मामलों में गवाही या साक्ष्य के लिए अदालतों में व्यक्तिगत रूप से ही पेश होंगे। इस आदेश को दिल्ली पुलिस आयुक्त ने मंजूरी दी है और इसे विशेष पुलिस आयुक्त (अपराध) देवेश चंद्र श्रीवास्तव ने जारी किया।
हड़ताल समाप्त, गतिरोध खत्म
दिल्ली पुलिस के इस नए सर्कुलर के बाद वकीलों ने अपनी हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की। बार एसोसिएशन ने इसे अपनी जीत करार देते हुए कहा कि यह फैसला न केवल वकीलों के हितों की रक्षा करता है, बल्कि आम नागरिकों के न्याय पाने के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। दिल्ली की जिला अदालतों में सोमवार, 8 सितंबर 2025 को हड़ताल समाप्त होने के बाद कामकाज फिर से शुरू हो गया है।
आगे की राह
इस सर्कुलर ने दिल्ली की अदालतों में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म कर दिया है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी तकनीकी सुविधाओं को न्यायिक प्रक्रिया में शामिल करने के लिए सरकार और बार एसोसिएशन के बीच बेहतर संवाद की जरूरत होगी। अभी के लिए, यह सर्कुलर वकीलों और आम नागरिकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है, जिससे दिल्ली की अदालतों में न्यायिक प्रक्रिया फिर से सुचारू रूप से शुरू हो सकेगी।

