Delhi News: राजधानी में यमुना का किनारा चेरी ब्लॉसम के फूलों और चिनार के पत्तों से गुलजार होगा। दिल्ली के उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने अनूठी पहल करते हुए यमुना के तीन द्वीपों में चेरी ब्लॉसम और चिनार के 300 पौधे लगाए। दिल्ली में इन दोनों प्रजातियों को पहली बार लगाया जा रहा है। चेरी ब्लॉसम के सफेद और गुलाबी फूलों की खूबसूरती देखते ही बनती है। जबकि, लाल और पीले पत्तों से लदे चिनार के पेड़ बेहद खूबसूरत दिखाई पड़ते हैं। यमुना के किनारे की हरियाली में अब इन दो पौधों की खूबसूरती भी देखने को मिल सकती है।
दिल्ली को फूलों का शहर बनाने के क्रम में उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने रविवार को यमुना के किनारे चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे लगाए। कुदसिया घाट से लेकर आईटीओ बैराज के बीच यमुना में बने तीन द्वीपों में इन पौधों को लगाया गया है।
दिल्ली को फूलों का शहर बनाने के क्रम में उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने रविवार को यमुना के किनारे चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे लगाए। कुदसिया घाट से लेकर आईटीओ बैराज के बीच यमुना में बने तीन द्वीपों में इन पौधों को लगाया गया है।
इसके अलावा भी यमुना के इन द्वीपों में कचनार, वीपिंग विलो, सेमल, बॉटल ब्रश, बोगनवेलिया और कनेर के 1400 से ज्यादा पौधे लगाए गए हैं। ये सभी फूलों वाले पौधे हैं। इसमें से चेरी ब्लॉसम और चिनार को तीनों द्वीपों के सबसे ऊंचे क्षेत्र में लगाया गया है। जबकि, पौधों के बीच में तीन मीटर की दूरी रखी गई है। इसके बीच की जगह पर अन्य पौधे लगाए गए हैं।
जम्मू-कश्मीर में पाए जाते हैं चिनार के पेड़
राजनिवास के मुताबिक चेरी ब्लॉसम जापान का एक पर्णपाती पेड़ है जो भारत के कई स्थानों जैसे बेंगलुरु, मुंबई, शिमला और शिलांग के वातावरण में अनुकूल बैठता है। जबकि, चिनार एक पर्णपाती पेड़ है जो पत्तियों के अपने शानदार आकार और रंग के लिए जाना जाता है। चिनार के एक पेड़ से साल में 300-400 किलोग्राम पत्तियां निकलती हैं।
भारत में चिनार के पेड़ ज्यादातर जम्मू और कश्मीर में पाए जाते हैं। यह पहली बार है कि इन दोनों पौधों को दिल्ली में लगाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि चिनार और चेरी ब्लॉसम के पौधे को एक महीने तक संतुलित वातावरण में नर्सरी में रखा गया। ताकि दिल्ली के मौसम में यह अनुकूलित हो सके। इसके बाद ही यमुना के इन तीनों द्वीपों पर इन्हें लगाया गया है।
जम्मू-कश्मीर में पाए जाते हैं चिनार के पेड़
राजनिवास के मुताबिक चेरी ब्लॉसम जापान का एक पर्णपाती पेड़ है जो भारत के कई स्थानों जैसे बेंगलुरु, मुंबई, शिमला और शिलांग के वातावरण में अनुकूल बैठता है। जबकि, चिनार एक पर्णपाती पेड़ है जो पत्तियों के अपने शानदार आकार और रंग के लिए जाना जाता है। चिनार के एक पेड़ से साल में 300-400 किलोग्राम पत्तियां निकलती हैं।
भारत में चिनार के पेड़ ज्यादातर जम्मू और कश्मीर में पाए जाते हैं। यह पहली बार है कि इन दोनों पौधों को दिल्ली में लगाने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि चिनार और चेरी ब्लॉसम के पौधे को एक महीने तक संतुलित वातावरण में नर्सरी में रखा गया। ताकि दिल्ली के मौसम में यह अनुकूलित हो सके। इसके बाद ही यमुना के इन तीनों द्वीपों पर इन्हें लगाया गया है।
टेरीटोरियल आर्मी लगाने का निर्देश
उप राज्यपाल ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि इन द्वीपों पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। इसकी रक्षा के लिए टेरीटोरियल आर्मी लगाने का भी उन्होंने निर्देश दिया। उन्होंने वन विभाग से पेड़-पौधों की रखवाली करने को कहा है। इन पौधों के अलावा विभिन्न प्रकार के पुष्पीय पौधे और सुंदर झाड़ियों जैसे गेंदा, कॉसमॉस और अन्य पौधों के बीज भी नदी के किनारे बोए गए हैं।
इससे नदी के किनारे सुंदर फूलों की क्यारियां बन जाएंगी। अगले तीन दिनों में यमुना के दोनों किनारों पर ड्रोन से इन फूलों के बीज बोए जाएंगे। दो से तीन सप्ताह के अंदर इन पुष्पीय पौधे के यमुना के किनारे उग आने की उम्मीद जताई जा रही है।
उप राज्यपाल ने अधिकारियों को आदेश दिया है कि इन द्वीपों पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं होना चाहिए। इसकी रक्षा के लिए टेरीटोरियल आर्मी लगाने का भी उन्होंने निर्देश दिया। उन्होंने वन विभाग से पेड़-पौधों की रखवाली करने को कहा है। इन पौधों के अलावा विभिन्न प्रकार के पुष्पीय पौधे और सुंदर झाड़ियों जैसे गेंदा, कॉसमॉस और अन्य पौधों के बीज भी नदी के किनारे बोए गए हैं।
इससे नदी के किनारे सुंदर फूलों की क्यारियां बन जाएंगी। अगले तीन दिनों में यमुना के दोनों किनारों पर ड्रोन से इन फूलों के बीज बोए जाएंगे। दो से तीन सप्ताह के अंदर इन पुष्पीय पौधे के यमुना के किनारे उग आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सफाई कार्यों का भी लिया जायजा
उप राज्यपाल ने पौधरोपण कार्यक्रम के अलावा यमुना में सफाई कार्यों का भी जायजा लिया और तेजी से हो रहे कामों पर संतोष व्यक्त किया। पद संभालने के बाद से ही उप राज्यपाल की ओर से यमुना की सफाई को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यमुना किनारे का यह उनका 13वां दौरा था। उप राज्यपाल ने यमुना की सफाई में सहयोग देने के लिए धार्मिक नेताओं और संस्थाओं की तारीफ की और कहा कि बहुत जल्द यमुना की सफाई में उद्योग जगत को भी हिस्सेदार बनाया जाएगा।
उप राज्यपाल ने पौधरोपण कार्यक्रम के अलावा यमुना में सफाई कार्यों का भी जायजा लिया और तेजी से हो रहे कामों पर संतोष व्यक्त किया। पद संभालने के बाद से ही उप राज्यपाल की ओर से यमुना की सफाई को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यमुना किनारे का यह उनका 13वां दौरा था। उप राज्यपाल ने यमुना की सफाई में सहयोग देने के लिए धार्मिक नेताओं और संस्थाओं की तारीफ की और कहा कि बहुत जल्द यमुना की सफाई में उद्योग जगत को भी हिस्सेदार बनाया जाएगा।