Delhi News:राहुल ने फिर पूछा रिश्ता, 20 हजार करोड़ किसके
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Delhi News:राहुल ने फिर पूछा रिश्ता, 20 हजार करोड़ किसके

Delhi News: सांसदी गवाने के बाद भी राहुल गांधी शांत होने का नाम नही ले रहे है। आज राहुल ने प्रेस काॅफ्रेस कर कहा कि मैं बार बार बोल रहा हू लोकतंत्र पर आक्रमण किया जा रहा है। इसका हम को रोज रोज नए उदहारण मिल रहे है। सवाल पर जाता है कि अडाणी जी की शैल कंपनिया है। इनमें 20 हजार करोड़ निवेश किया गया।

मैं जाना चहाता हू कि ये पैसा किसका है। संसद में मोदी जी और अडाणी जी की तस्वीर दिखाई। भाजपा सांसदों ने मुझ पर झूठे आरोप लगाए बाकी कहा कि मैं विदेशी ताकतों से मदद मांग रहा हूं। इसके बाद में स्पीकर सर के पास गया और अपनी बात रखी लेकिन फिर भी उन्होंने नहीं सुना। फिर दोबारा गया तब भी मैंने स्पीकर सर से सवाल किया। यदि यह लोग सोच रहे हैं, कि मुझे डरा के दमका के मुझे जेल का डर दिखाकर मेरी आवाज बंद कर सकते ऐसा नहीं होगा मैं हिंदुस्तान के लोकतंत्र के गया हूं और लोकतंत्र के लिए लड़ता रहूंगा
मालूम हो कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है.

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Delhi News: राहुल के इस बयान से जुड़े मानहानि केस में सूरत की कोर्ट ने गुरुवार दोपहर 12.30 बजे राहुल को 2 साल की सजा सुनाई थी। लेकिन 27 मिनट बाद जमानत दे दी। सजा के 26 घंटे बाद शुक्रवार को उनकी सदस्यता खत्म कर दी गई। 23 घंटे बाद शनिवार को राहुल, प्रियंका के साथ कांग्रेस दफतर पहुंचे मीडिया से बात की।
इसके बाद उन्होंने सवाल किया- अडाणी और मोदी का रिश्ता क्या है? उन्होंने केंब्रिज यूनिवर्सिटी में लोकतंत्र पर कही अपनी बात और सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है… वाले बयान पर सफाई भी दी।
आप शहीदों के परिवार से आते हैं। आपकी दादी भी डिस्क्वालिफाई हुईं। जनता के बीच गईं। सत्ता में वापस आईं। आज के दौर में राहुल भी डिस्क्वालिफाई हो गए हैं। आपने तमाम मुद्दे उठाए। चीन का मुद्दा उठाया। क्या राहुल गांधी भी जनता के बीच में जाएंगे। और वही वापसी फिर से करेंगे?

राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में साढ़े चार महीने जनता के बीच रहे। ये मेरा काम है और करता जाऊंगा। आज के हिंदुस्तान में जो पहले राजनीतिक पार्टियों को सपोर्ट मिलती थी। मीडिया और बाकी संस्थानों से मिलती थी। अब नहीं मिलती है। तो विपक्षी पार्टियों के पास एक ही रास्ता है। जनता के बीच में जाने का।
बता दें कि राहलु गांधी कहा कि मै सावरकर नही जो मांफी मंागूगा।

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