Delhi News: नई दिल्ली। वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम. नागराजू ने शनिवार को यहां आयोजित ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरणों (डीआरएटी) के अध्यक्षों और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) के पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस बैठक में डीआरटी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। वित्त मंत्रालय ने जारी एक बयान में बताया कि इस सम्मेलन के दौरान लंबित मामलों को कम करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, वसूली को अनुकूलित करने, निपटान नीति तैयार करने और नए डीआरटी विनियम 2024 को अपनाने सहित डीआरटी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। इस बैठक में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के उप-मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) तथा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
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डीएफएस सचिव एम. नागराजू ने डीआरएटी के अध्यक्षों और डीआरटी के पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के दौरान डीआरटी के कामकाज से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा की गई। साथ ही वसूली प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने के लिए इस बात पर सहमति बनी। इसके अलावा इस बैठक में लिए गए निर्णय इस प्रकार हैं। बैंक डीआरटी में लंबित मामलों के कुशल प्रबंधन के लिए प्रभावी निगरानी और निरीक्षण तंत्र स्थापित करेंगे। डीआरटी में अपनाई जाने वाली कुछ सर्वोत्तम प्रथाओं पर भी चर्चा की गई, जिन्हें बेहतर परिणाम के लिए डीआरटी में अपनाया जा सकता है।
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बैंकों को वसूली को अनुकूलित करने के लिए डीआरटी में लंबित छोटे और उच्च मूल्य के मामलों के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित नीति बनानी होगी। निपटान नीति तैयार करते समय, बैंकों को लंबित वसूली मामलों को आगे बढ़ाते समय लेनदेन लागत को ध्यान में रखना चाहिए। सभी हितधारकों को लंबित मामलों को कम करने और वसूली के अनुकूलन के लिए प्रभावी उपाय करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना चाहिए, जिससे लंबित मामलों में फंसी पूंजी को उत्पादक उपयोग के लिए अर्थव्यवस्था में वापस लाने में मदद मिलेगी। डीआरटी विनियमन 2024, जिसमें पहले के डीआरटी विनियमन 2015 की तुलना में कई बेहतर विशेषताएं हैं, को सभी डीआरटी द्वारा अपनाया जाएगा, जिसका उद्देश्य डीआरटी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और कम समय लेने वाला बनाना है।