Delhi High Court: कैदियों का एकांत कारावास बर्बता
Delhi High Court: : दिल्ली हाई कोर्ट ने कैदियों को एकांत कारावास में रखने के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार को छह हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 23 मई को होगी।
वकील हर्ष विभोर सिंघल ने दायर याचिका में भारतीय दंड संहिता की धारा 73 और 74 और जेल अधिनियम की धारा 29, 30(2), 46, 48 और 49 को चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि ये कानूनी प्रावधान संविधान की धारा 14, 19(1)(ए), 20(2) और 21 का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता और जेल अधिनियम में एकांत कारावास को परिभाषित नहीं किया गया है और न ही उसकी शर्तें बताई गई हैं।
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Delhi High Court: : याचिका में कहा गया है कि एकांत कारावास अमानवीय और बर्बर होता है और किसी कैदी में सुधार की गुंजाइश को खत्म करता है। एकांत कारावास में कैदी दूसरे कैदियों के संपर्क से कट जाता है और ऐसा करना पूरे तरीके से अमानवीय है। एकांत कारावास के दौरान जेल अधिकारियों को मनमाना और तानाशाही तरीके से प्रताड़ित करने की छूट दे देता है।