DELHI: केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी अधूरी सूचना, 2जनवरी को आएंगा फैसला
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DELHI: केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी अधूरी सूचना, 2जनवरी को आएंगा फैसला

 

नोटबंदी को चुनौती देते हुए दाखिल की गई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 2 जनवरी 2023 को अपना फैसला सुनाएगा। आखिर क्यो की गई नोटबंदी? संविधान पीठ के जज जस्टिस बीआर गवई इस मामले पर सभी जजों की एकमत राय के आधार पर फैसला सुनाएंगे। नोटबंदी पर कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामों में सरकार ने कहा कि यह पूरी तरह से सोच विचार करने के बाद लिया गया फैसला था।

8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इस घोषणा से नौ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ परामर्श प्रक्रिया फरवरी 2016 में शुरू हुई थी। आरबीआई ने भी अपने हलफनामे में कहा कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था और उसने ही नोटबंदी की सिफारिश की थी।सरकार और आरबीआई के हलफनामों में जिस बात का उल्लेख नहीं है वह यह है कि नोटबंदी के लिए आरबीआई की सिफारिश एक प्रक्रियात्मक आवश्यकता थी। हालांकि, उससे पहले केंद्रीय बैंक ने सरकार के कई फैसलों की आलोचना की थी।नोटबंदी को सही ठहराने के लिए यह एक प्रमुख बिंदु था। 8 नवंबर, 2016 को अपने भाषण में पीएम मोदी ने कहा था कि नकदी का सर्कुलेशन भ्रष्टाचार के स्तर से सीधे जुड़ा हुआ है। 2011-12 से 2015-16 तक पिछले पांच वित्तीय वर्षों में सीआईसी और जीडीपी का अनुपात 11ः या उससे अधिक रहा है। हलफनामे में अन्य रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा गया कि 11.55 प्रतिशत पर भारत का कैश टू जीडीपी प्रतिशत अनुपात अमेरिका (7.74ः) की तुलना में बहुत अधिक था।

वहीं हलफनामे में उल्लेख नहीं किया गया है कि जीडीपी के प्रतिशत के रूप में सीआईसी तीन साल के अंदर नोटबंदी से पहले के स्तर पर वापस आ गया। 2019-20 के लिए आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है, “करेंसी-जीडीपी अनुपात 2019-20 में 11.3 प्रतिशत से बढ़कर नोटबंदी से पहले के स्तर 12.0 प्रतिशत हो गया। यह अनुपात 2019-20 में बढ़कर 14.4 प्रतिशत हो गया। वहीं, आरबीआई के अनुसार, 2021-22 में यह 13.7 प्रतिशत तक गिर गया।

500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों के चलन में बढ़ोत्तरीरू केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि पिछले 5 वर्षों में (आरबीआई डेटा के अनुसार) केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा कि 500 रुपये के नोट में 76.38ः और 1,000 रुपये के नोट के चलन में 108.98ः की बढ़ोत्तरी देखी गयी। इसके अलावा, 2014-15 और 2015-16 के आर्थिक सर्वेक्षण में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, 2011-12 से 2015-16 तक अर्थव्यवस्था का आकार 30ः घट गया।

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