New Delhi/Pollution News: राजधानी दिल्ली में हर साल सर्दियों के आगमन के साथ ही वायु प्रदूषण का संकट गहरा जाता है। इस बार सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़ा कदम उठाया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के निर्देश पर 1 नवंबर 2025 से दिल्ली की सीमाओं पर गैर-बीएस-वीआई (BS-VI) मानक वाले कमर्शियल गुड्स वाहनों की एंट्री पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा।
इसका मतलब है कि दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड लाइट, मीडियम और हेवी गुड्स वाहन (एलजीवी, एमजीवी, एचजीवी) केवल तभी प्रवेश कर सकेंगे, जब वे बीएस-वीआई डीजल, सीएनजी, एलएनजी या इलेक्ट्रिक (ईवी) ईंधन पर चल रहे हों।
यह फैसला दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सीएक्यूएम की 17 अक्टूबर को हुई बैठक में इस प्रतिबंध को मंजूरी दी गई थी, जो ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत लागू होगा। दिल्ली परिवहन विभाग ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि दिल्ली में रजिस्टर्ड सभी कमर्शियल वाहनों पर कोई पाबंदी नहीं होगी। साथ ही, बीएस-आईवी (BS-IV) डीजल वाले कमर्शियल गुड्स वाहनों को संक्रमणकालीन राहत के तौर पर 31 अक्टूबर 2026 तक दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी गई है।
क्यों लिया गया यह फैसला?
दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे हानिकारक कणों की मात्रा हर साल अक्टूबर-नवंबर में खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है। इसका प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाले धुएं, पराली जलाना और ठंडी हवाओं के कारण प्रदूषण का फंसना है। विशेषज्ञों के अनुसार, कमर्शियल वाहन दिल्ली के कुल वाहन उत्सर्जन का करीब 30-40 प्रतिशत योगदान देते हैं।
पुराने डीजल इंजन वाले वाहन नाइट्रोजन ऑक्साइड (एनओएक्स) और पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) जैसे प्रदूषकों को अधिक छोड़ते हैं, जो फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जून 2025 में घोषित ‘एयर पॉल्यूशन मिटिगेशन प्लान 2025’ के तहत इस प्रतिबंध को लागू करने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा, “दिल्ली की हवा साफ होनी चाहिए। लोग दिल्ली में रहना पसंद करें, बाहर न जाएं।” प्लान में क्लाउड सीडिंग से कृत्रिम वर्षा, मिस्ट स्प्रेयर और एंटी-स्मॉग गन्स जैसे उपाय भी शामिल हैं।
कौन से वाहन प्रभावित होंगे और कौन बचेंगे?
• प्रतिबंधित वाहन: दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड गैर-बीएस-वीआई कमर्शियल गुड्स वाहन, जैसे बीएस-आईआईआई या बीएस-आईवी डीजल ट्रक, टेम्पो आदि। ये 1 नवंबर से बॉर्डर पर ही रुक जाएंगे।
• अनुमत वाहन:
• दिल्ली में रजिस्टर्ड सभी कमर्शियल वाहन (बीएस-आईआईआई से ऊपर)।
• बीएस-वीआई डीजल, सीएनजी, एलएनजी या ईवी वाले वाहन।
• बीएस-आईवी डीजल वाले वाहन (31 अक्टूबर 2026 तक)।
• निजी वाहन (कार, बाइक) इस प्रतिबंध से अछूते रहेंगे, लेकिन ग्रैप के चरण-2 के तहत दिल्ली में रजिस्टर्ड बीएस-आईआईआई पेट्रोल और बीएस-आईवी डीजल निजी वाहनों पर भी पाबंदी जारी रहेगी, जब तक एQI ‘बहुत खराब’ या इससे ऊपर हो।
प्रवर्तन कैसे होगा?
प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने के लिए दिल्ली ट्रैफिक पुलिस 126 बॉर्डर एंट्री पॉइंट्स पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकग्निशन (एएनपीआर) कैमरे और आरएफआईडी तकनीक लगाएगी।
इसके अलावा, 48 विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम जैसे एनसीआर शहरों से आने वाले वाहनों की जांच करेंगी। पेट्रोल पंपों पर भी एंड-ऑफ-लाइफ (ईओएल) वाहनों को ईंधन देने पर रोक लगेगी। उल्लंघन पर भारी जुर्माना और वाहन जब्ती का प्रावधान है।
ट्रांसपोर्टरों की क्या है प्रतिक्रिया?
ट्रांसपोर्ट यूनियनों ने इस फैसले का स्वागत तो किया है, लेकिन बीएस-आईवी वाहनों के लिए छूट को और बढ़ाने की मांग की है। एक ट्रांसपोर्टर ने कहा, “फ्लीट अपग्रेड में समय लगेगा।
2026 तक की छूट अच्छी है, लेकिन लागत ज्यादा है।” हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने परिवहन विभागों के माध्यम से इसकी पालना सुनिश्चित करें।
क्या होगा असर?
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इससे दिल्ली में वाहन उत्सर्जन 20-25 प्रतिशत कम हो सकता है, खासकर सर्दियों में जब प्रदूषण चरम पर होता है। हालांकि, ट्रैफिक जाम और वैकल्पिक रूट्स पर दबाव बढ़ सकता है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें और पर्सनल वाहनों को कम रखें।
यह कदम दिल्ली को ‘सांस लेने लायक’ बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है, लेकिन लंबे समय तक प्रदूषण से लड़ाई के लिए पराली जलाने और औद्योगिक उत्सर्जन पर भी कड़े उपाय जरूरी हैं। क्या यह फैसला दिल्ली की हवा को साफ करने में कामयाब होगा? आने वाले दिनों में इसका असर दिखेगा।

