यूपी में योगी की टेंशन बढा रही कांग्रेस, इस तरह ओबीसी, एससी-एसटी के साथ मुस्लिमों को लेकर बन रही खिचड़ी

यूपी में कांग्रेस ने शुक्रवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कोटे, वक्फ संशोधन विधेयक और जाति जनगणना के मुद्दे पर एक महीने का अभियान शुरू कर दिया है। जानकार कहते है कि पार्टी का लक्ष्य दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करना है। इससे योगी की टेंशन बेढेगी। संसद द्वारा एससी और एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 पारित किए जाने के 25 साल पूरे होने पर पार्टी 11 सितंबर तक अभियान चलाएगी और एससी और एसटी के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए कांग्रेस द्वारा किए गए प्रयासों को उजागर करेगी।

ऐसे चलाएंगी कांग्रेस विशेष अभियान
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ”केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदम इस बात का सबूत हैं कि हम लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान क्या उठाते रहे हैं। सत्ता में आने पर बुनियादी संवैधानिक अधिकारों को चुनौती दी जाएगी। इस प्रकार हम जाति जनगणना, वक्फ संशोधन विधेयक और यहां तक कि एससी-एसटी कोटा के उप-वर्गीकरण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए जनता तक पहुंचेंगे। बताया जा रहा कि कुछ समुदायों ने लोकसभा चुनावों में हमारे प्रति अपना समर्थन दिखाया है और इसलिए यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके मुद्दों को भी उठाएं।”

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एक महीने के अंदर पार्टी नेताओं को ग्रामीण स्तर पर जुटने, पर्चे बांटने और संबंधित समुदायों के साथ चर्चा करने के लिए कहा गया है। पार्टी की ओबीसी, अल्पसंख्यक और मछुआरा शाखाएं जिला स्तर पर अभियान चलाएंगी, जबकि जाति जनगणना के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। पार्टी ने राज्य में अपने पदाधिकारियों को बुद्धिजीवियों और समुदायों के प्रमुख लोगों जैसे डॉक्टरों, शिक्षकों और अन्य पेशेवरों से जुड़ने का प्रयास करने का भी निर्देश दिया है।
अल्पसंख्यक विभाग भी सक्रिय
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का अल्पसंख्यक विभाग भी सक्रिय हो चुका है। विभाग के प्रमुख शाहनवाज आलम ने कहा, “यह एक जन जागरूकता अभियान होगा जो प्रधानमंत्री के रूप में राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए 11 सितंबर को समाप्त होगा। हम वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में भी जागरूकता पैदा करेंगे, जो सरकार को वक्फ भूमि के प्रॉपर्टी डीलर में बदल देगा। हम जाति जनगणना की मांग करेंगे और न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाएंगे।

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