छठ पूजा 2025 का यह चार दिवसीय महापर्व 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक चलेगा। पहले दिन ‘नहाय-खाय’ के साथ शुभारंभ हुआ, दूसरे दिन ‘खरना’ मनाया गया, जबकि आज तीसरे दिन व्रती पूरे दिन बिना जल ग्रहण किए रहेंगे। शाम को डूबते सूर्य को ठेकुआ, फल और जल से भरा बांस का दानो अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करेंगे। कल, 28 अक्टूबर को चौथे दिन उषा अर्घ्य के बाद पारण होगा।
देश के विभिन्न हिस्सों में इस पर्व की रौनक देखने लायक है। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के घाटों पर लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े हैं। दिल्ली के आईटीओ घाट, यमुना तट और पटना के गंगा घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। व्रती महिलाओं ने रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजकर पूजा सामग्री लेकर घाटों की ओर कूच किया है। विशेष रूप से, बिहार के भागलपुर और अन्य जिलों में सूर्यास्त का समय लगभग 5:30 बजे से शुरू हो रहा है, जबकि उषा अर्घ्य कल सुबह 6:20 बजे के आसपास होगा।
छठ पूजा की यह परंपरा सदियों पुरानी है, जो प्रकृति पूजा और सूर्य उपासना का अनूठा संगम दर्शाती है। व्रती शुद्धता और संयम का पालन करते हुए डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर शांति और संतुलन की प्रार्थना करते हैं। इस दौरान पर्यावरण संरक्षण के लिए भी जागरूकता फैलाई जा रही है, ताकि घाटों पर प्लास्टिक का उपयोग न हो।
सरकार और स्थानीय प्रशासन ने भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें लाइटिंग, मेडिकल कैंप और ट्रैफिक कंट्रोल शामिल हैं। इस पर्व से जुड़ी भक्ति भजनों की धुनें और पारंपरिक व्यंजनों की महक पूरे वातावरण को दिव्य बना रही है। छठ की यह धूम न केवल धार्मिक एकता का प्रतीक है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का माध्यम भी।

