केंद्र ने हाई कोर्ट को बताया- अग्निवीरों की चार साल की सेवा को रेगुलर सर्विस नहीं माना जाएगा
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केंद्र ने हाई कोर्ट को बताया- अग्निवीरों की चार साल की सेवा को रेगुलर सर्विस नहीं माना जाएगा

केंद्र सरकार ने  दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि अग्निवीर का कैडर बिल्कुल अलग है। भारतीय सेनाओं को दी गई उनकी चार साल की सेवा को रेगुलर सर्विस नहीं माना जाएगा। चार साल पूरा होने के बाद अगर कोई अग्निवीर सेना में ज्वाइन करता है तो यह उसकी नई नियुक्ति मानी जाएगी। हाई कोर्ट इस मामले पर 15 दिसंबर को भी सुनवाई करेगा।
अग्निपथ योजनाओं को लेकर दायर याचिकाओं पर दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है। एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने आज केंद्र सरकार का पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि अग्निवीर का कैडर सिपाही से नीचे होगा, लेकिन उसे बेसिक ट्रेनिंग दी जाएगी। चार साल की सेवा के बाद सेना में भर्ती होने पर उसकी नई नियुक्ति होगी लेकिन ट्रेनिंग अग्निवीर से उच्च स्तर की होगी। इस तरह दस-पन्द्रह सालों के बाद कोई भी सिपाही ऐसा नहीं होगा, जो अग्निवीर नहीं रहा हो।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जब अग्निवीर और सिपाही का काम एक ही किस्म का होगा, तो एक काम होने के बावजूद अग्निवीरों का वेतन कम क्यों होगा। तब एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अग्निवीरों की जिम्मेदारी सिपाही की तरह नहीं होगी। उन्हें सिपाही को सैल्यूट करना होगा। तब कोर्ट ने इस बात को लेकर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने केंद्र से चार साल की सेवा पूरी करने के बाद सेना से बाहर होने वाले 75 फीसदी अग्निवीरों के भविष्य को लेकर योजनाओं के बारे में पूछा। तब ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में अग्निवीरों के लिए आरक्षण की योजना बनाई है।
इससे पहले हाई कोर्ट ने 12 दिसंबर को कहा था कि अग्निपथ योजना को विशेषज्ञों ने तैयार किया है और कोर्ट विशेषज्ञ निकाय नहीं है कि वो इस योजना के बारे में फैसला करे। कोर्ट ने कहा था कि वो विभिन्न देशों के रक्षा बलों और उनकी सैन्य रणनीति की भी पड़ताल नहीं करने जा रही है। सुनवाई के दौरान याचिकाकतार्ओं ने कहा था कि अग्निपथ योजना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक है। सैन्य बलों में शामिल होने वाले अग्निवीरों में किसी यूनिट से जुड़ने के लिए ट्रेनिंग की कमी होगी। ये योजना समान काम समान वेतन के सिद्धांत का भी उल्लंघन है। अग्निपथ योजना खत्म होने के बाद 75 फीसदी जवान जो सेना के बाहर जाएंगे उनके लिए कोई बैक अप प्लान नहीं है।

इस मामले में केंद्र सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा है कि अग्निपथ योजना में कोई कानूनी कमी नहीं है और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और मजबूत होने के साथ-साथ ये सेना की जरूरतों के मुताबिक होगी। केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि इस योजना से भारतीय सेना के जवानों की औसत आयु 32 साल से 26 साल हो जाएगी और सेना तकनीकी रूप से भी ज्यादा दक्ष होगी। अग्निपथ योजना मेरिट के आधार पर और पारदर्शी तरीके से होगी। अग्निवीर देश के साथ-साथ समाज के लिए संसाधन साबित होंगे।

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