मंत्री वैष्णव ने बताया कि जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी। पहला चरण—घर सूचीकरण एवं आवास गणना—अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच होगा, जबकि दूसरा चरण—जनसंख्या गणना—फरवरी 2027 में संपन्न होगा। हालांकि, जम्मू-कश्मीर के बर्फीले क्षेत्रों, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और लद्दाख जैसे संघ राज्य क्षेत्रों में पहला चरण सितंबर 2026 में आयोजित किया जाएगा, ताकि मौसमी चुनौतियों का सामना किया जा सके।
इस अभियान में जाति गणना को भी शामिल किया जाएगा, जो सामाजिक न्याय और नीति निर्माण के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने स्पष्ट किया कि प्रश्नावली विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और डेटा उपयोगकर्ताओं के सुझावों के आधार पर अंतिम रूप दी गई है। यह सुनिश्चित करेगा कि गणना प्रक्रिया व्यापक और प्रासंगिक हो।
डिजिटल पहल के तहत, डेटा संग्रह के लिए मोबाइल ऐप का उपयोग किया जाएगा, जबकि केंद्रीय पोर्टल से निगरानी सुनिश्चित होगी। इससे डेटा की गुणवत्ता में सुधार होगा और नीति निर्माण के लिए आवश्यक पैरामीटर तत्काल उपलब्ध हो सकेंगे। इसके अलावा, ‘सेंसस-एज-ए-सर्विस’ (सीएएएस) के माध्यम से मंत्रालयों को स्वच्छ, मशीन-पठनीय और कार्रवाई योग्य डेटा प्रदान किया जाएगा।
सरकार के अनुसार, इस जनगणना से लगभग 30 लाख क्षेत्रीय कार्यकर्ताओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जो कुल मिलाकर एक करोड़ मानव-दिवस के बराबर होगा। यह न केवल आर्थिक रूप से लाभदायक होगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
जनगणना 2021 में कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित हो गई थी, और अब 2027 में होने वाली यह गणना देश की जनसांख्यिकीय स्थिति का सटीक चित्रण प्रस्तुत करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल प्रक्रिया से पारदर्शिता बढ़ेगी और डेटा सुरक्षा सुनिश्चित होगी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सवाल पर मंत्री राय ने विस्तार से जानकारी साझा की, जो विपक्ष की चिंताओं को भी संबोधित करती है।
यह घोषणा केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ली गई, जिसमें अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। जनगणना निदेशालय ने कहा है कि राज्य और संघ राज्य क्षेत्र सरकारों की सुविधा के अनुसार चरणों को समायोजित किया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर अपडेट उपलब्ध रहेंगे।

