नोएडा-ग्रेटर नोएडा में बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को खूब रुलाया

नोएडा ग्रेटर नोएडा में यूपी के लोग तो रहने के इच्छुक तो है ही, दिल्ली व आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग भी यहां अपना आशियाना बनाना चाहते हैं। इसका उदाहरण है ग्रेटर नोएडा की हाल ही में सफल हुई आवासीय स्कीम। जिसमें बोली लगाई गई, अलग-अलग प्लॉट के लिए बोली लगाई गई थी और यह बोली 174 प्रतिशत आरक्षित मूल्य से ऊपर पहुंच गई।

दूसरा पहलू यह है कि लोगों बिल्डरों से विश्वास लगभग खत्म हो गया है। ज्यादातर बिल्डरों ने फ्लैट बायर्स को जमकर रुलाया है। कारण है समय पर फ्लैट डिलीवर ना करना। सोने पर सुहागा बिल्डरों ने बायर्स को तो रुलाया ही है, नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के भी रुपए यानी बकाया नहीं दिया हैं। प्राधिकरणों का हजारों करोड़ रुपए बिल्डरो पर बकाया है। इसी सब के बीच एक अच्छी खबर यह भी है कि सुपरटेक बिल्डर की 18 प्रोजेक्ट में से करीब एक दर्जन प्रोजेक्टस विदेश की कंपनी टेकओवर कर रही।

सुपरटेक के अपकंट्री प्रोजेक्ट में सिंगापुर की कंपनी करीब 16 सौ करोड रुपए निवेश करेगी। ताकि अधूरे प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके। सुपरटेक के कई प्रोजेक्ट में घर बुक करने वाले करीब 20,000 से परेशान हैं। जिन्हें राहत मिलने की उम्मीद है। बायर्स का कहना है कि उन्होंने 2009 और 2012 के बीच फ्लैट बुक कराए थे, लेकिन उन्हें अब तक नहीं मिले हैं, और जिनको मिले हैं, उनकी रजिस्ट्री नहीं हुई है। बिल्डर द्वारा पैसा नहीं देने पर प्राधिकरण रजिस्ट्री की अनुमति नहीं दे रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि बिल्डर पर प्राधिकरण का अभी बकाया है।

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इको विलेज वन और टू में बुकिंग करने वाले परेशान हैं। लगातार फ्लैट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे हैं, मगर उन्हें फ्लैट नहीं मिल पा रहा है। मालूम हो कि सुपरटेक के खिलाफ एनसीएलटी 17 मार्च को सुनवाई हुई थी 25 मार्च 2022 को आया। कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया के साथ आईआरपी नियुक्त कर दिया था। जिसके बाद प्रोजेक्ट चला रहा था इससे भी करीब 20000 लोगों को घर मिलने की उम्मीद जाग गई।

आम्रपाली के बायर्स को भी राहत
बात करते आम्रपाली की अम्रपाली में हजारों लोगों ने फ्लैट खरीदा हुआ है लेकिन वह भी परेशान है। सुप्रीम कोर्ट से आम्रपाली के बायर्स़ को राहत की उम्मीद जागी है। नोएडा ग्रेटर नोएडा में अमरपाली के फ्लैट बायर्स को राहत देते हुए कोर्ट रिसीवर को निर्देश दिया है कि फ्लोर एरिया रेशों यानी एफएआर का उपयोग करके बायर्स को राहत दी जाए। एफएआर बेचकर या अतिरिक्त निर्माण करके करीब 1000 करोड रुपए जुटाए जा सकते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अजय रस्तोगी जस्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने अपने आदेश में नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आपत्तियों को खारिज करते हुए कोर्ट रिसीवर को बचे हुए एफएआर का उपयोग करने की हरी झंडी दे दी। कोर्ट रिसीवर इसके लिए काफी दिनों से मशक्कत कर रहे थे, लेकिन प्राधिकरण अपना बकाया वसूलने के लिए बार-बार इसमें अड़ंगा डाल रहा था। अब एफएआर के जरिए जब पैसा आएगा तो अधूरे प्रोजेक्ट्स पूरे होने का रास्ता साफ हो जाएगा।

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