बृजभूषण शरण: शायद ये गुंडे नही है! एसपी पर पिस्टल ही तो तानी थी, जानें पूरा मामला
जरा सेचिए कि जब कोई व्यक्ति एसपी पर ही पिस्टल तान दे तो उसकी गुडडई का क्या आलम होगा। राजनीति में लगातार 6 बार से सांसद का चुनाव जीत रहे हैं। कारोबार ऐसा कि 50 से ज्यादा स्कूल-कॉलेज के मालिक हैं। रसूख ऐसा कि पार्टी लाइन से अलग भी बयानबाजी करते हैं। बेधड़क इतने कि इंटरव्यू में हत्या की बात कबूल करते हैं। सरकार में दबदबा ऐसा कि 11 साल से भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष हैं।
ये कहानी है बृजभूषण शरण सिंह की, जिनके खिलाफ एक बार फिर देश के कई नामी पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। 8 पहलवान सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। इन्होंने कोर्ट से बृजभूषण के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है।त्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक कांग्रेसी नेता हुए चंद्रभान शरण सिंह। उन्हीं के परिवार में 1957 में बृजभूषण शरण सिंह पैदा हुए। कॉलेज के दिनों से ही बृजभूषण ने छात्र रहते हुए ही राजनीति शुरू कर दी।
70 के दशक में के.एस. साकेत विवि अयोध्या में महामंत्री बने। स्थानीय पत्रकार कहतेे हैं कि छात्र राजनीति के दौरान ही कॉलेज के किसी मामले में उन्होंने हैंडग्रेनेड चला दिया था, जिसके बाद उनका नाम उछला और फिर राजनीति में वो सक्रिय होते गए।1987 की बात है। जिले के गन्ना डायरेक्टरी के चुनाव में बृजभूषण ने भी पर्चा भर दिया। बृजभूषण को एसपी ने बुलाया और उन्हें गाली देते हुए नामांकन वापस लेने की धमकी दी।
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बृजभूषण एक इंटरव्यू में बताते हैं, ‘मैंने एसपी पर पिस्टल तान दी और उसे 200 गालियां दीं। स्थानीय पत्रकार हनुमान सिंह सुधाकर वहीं थे। इसके बाद मैंने अपनी मोटर साइकिल उठाई और वहां से निकल गया।’
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी समेत जो 40 लोग आरोपी बनाए गए, उनमें बृजभूषण शरण सिंह भी थे।
एक टीवी इंटरव्यू में बृजभूषण बताते हैं, ‘जब कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद पर हमला किया तो किसी के पास कोई हथियार नहीं था। वहां पास में कृष्णा गोयल का काम चल रहा था। हमने स्टोर रूम तोड़ा और कारसेवकों तक गैती फरुआ पहुंचाया। हमने गिराया नहीं है, लेकिन रात 10 बजे तक हम वहीं थे।’ CBI की स्पेशल कोर्ट ने साल 2020 में बृजभूषण शरण सिंह समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया।
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ये है बृजभूषण का सफर
छात्र राजनीति से उाचाइयों और जन्मभूमि आंदोलन की वजह से बृजभूषण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय हो चुके थे। 1991 में जब ठश्रच् ने बृजभूषण सिंह को लोकसभा टिकट दिया तब इनके खिलाफ 34 आपराधिक मामले दर्ज थे। ठश्रच् ने सिंह को गोंडा का रॉबिनहुड कहकर बचाव किया। वो बड़े अंतर से चुनाव जीते।
1996 में जब बृजभूषण सिंह टाडा में तिहाड़ जेल में सजा काट रहे थे, तब इनकी पत्नी केतकी सिंह ने गोंडा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। बृजभूषण के जेल में होने के बावजूद केतकी सिंह ने कांग्रेस के आनंद सिंह को 80,000 वोटों से हराया।