बिहार चुनाव: इमरान प्रतापगढ़ी का ‘धोखेबाज रजऊ’ गाना हुआ वायरल, वोट मांगने का शायराना अंदाज ने मचाई धूम

Bihar Election News: बिहार विधानसभा चुनावों की रंगत में शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने एक बार फिर अपनी कविताई छाप छोड़ दी है। हाल ही में गया और अन्य इलाकों में आयोजित जनसभाओं में उन्होंने लोकप्रिय भोजपुरी गाना “धोखेबाज़ रजऊ, दग़ाबाज़ रजऊ…” सुनाकर लोगों से वोट मांगे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह गाना, जो मूल रूप से धोखे और विश्वासघात पर तंज कसता है, प्रतापगढ़ी ने कथित तौर पर सत्ताधारी भाजपा पर निशाना साधते हुए गाया, जिससे सभाओं में ठहाकों और तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।

इमरान प्रतापगढ़ी, जो राज्यसभा सांसद और कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, बिहार चुनावों में पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में सक्रिय हैं। 2 नवंबर को गया जिले के कस्बा और राजा पाकर क्षेत्र में हुई उनकी सभाओं में हजारों की भीड़ जुटी। एक वीडियो में वे मंच पर खड़े होकर गाना गाते नजर आ रहे हैं, जबकि भीड़ “चुपचाप हाथ छाप” का नारा लगाती दिख रही है।“धोखेबाज़ रजऊ, दग़ाबाज़ रजऊ… गाना सुनाकर मांग रहे हैं वोट इमरान प्रतापगढ़ी।” यह क्लिप अब तक हजारों व्यूज बटोर चुकी है।

प्रतापगढ़ी की इस शायराना शैली ने विपक्षी दलों में उत्साह भर दिया है। बिहार कांग्रेस के एक नेता ने बताया, “इमरान भाई की सभाएं 900 प्रतिशत सफल साबित हो रही हैं।

सीपीआई(एमएल), आरजेडी, सीपीआई और वीआईपी जैसे सहयोगी दल भी उनकी रैलियों की मांग कर रहे हैं।” गया से दीघा तक उनकी यात्रा में लोग मोदी सरकार पर तंज कसते हुए राहुल गांधी की तारीफ करते नजर आ रहे हैं। एक सभा में प्रतापगढ़ी ने कहा, “ये चुनाव संविधान बचाने का है। चाय बेचने वाला पूरा देश बेच रहा है, लेकिन बिहार की जनता सबक सिखाएगी।”

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब प्रतापगढ़ी की कविताई या गाने सियासी विवादों में घिरे हों। जनवरी 2025 में गुजरात के जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम के बाद उनके सोशल मीडिया पोस्ट पर बैकग्राउंड में बज रही कविता “ऐ खून के प्यासे बात सुनो” को भड़काऊ बताकर एफआईआर दर्ज की गई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2025 में एफआईआर रद्द करते हुए कहा कि “बोलने की आजादी लोकतंत्र का अभिन्न अंग है” और कविता में हिंसा का कोई संदेश नहीं है। प्रतापगढ़ी ने तब दावा किया था कि उनकी रचनाएं प्रेम और अहिंसा का संदेश देती हैं।

बिहार चुनावों में कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन के लिए प्रतापगढ़ी की लोकप्रियता हथियार बनी हुई है। 11 नवंबर को होने वाले पहले चरण की वोटिंग से पहले उनकी सभाओं में “हाथ छाप” का नारा गूंज रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह गाना न केवल मनोरंजन कर रहा है, बल्कि भाजपा के खिलाफ गुस्से को भी व्यक्त कर रहा है। फिलहाल, वीडियो के वायरल होने से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है—कुछ इसे शानदार तंज बता रहे हैं, तो कुछ इसे सियासी ड्रामेबाजी।

यह भी पढ़ें: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक विश्व कप जीत: डी वाई पाटिल स्टेडियम में दक्षिण अफ्रीका भारतीय महिला खिलाड़ियों ने रौंद दिया, देश भर से मिली बधाई

यहां से शेयर करें