Bihar Assembly Elections/Alinagar News: बिहार विधानसभा चुनाव के रणक्षेत्र में उतरते ही लोकप्रिय गायिका मैथिली ठाकुर की राजनीतिक पारी की शुरुआत ही ठंडी पड़ गई। अलीनगर विधानसभा सीट से बीजेपी की उम्मीदवार मैथिली की नामांकन के ठीक बाद आयोजित पहली चुनावी रैली में सभागार की अधिकांश कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय और सांसद गोपालजी ठाकुर जैसे दिग्गजों के हेलिकॉप्टर से पहुंचने के बावजूद भीड़ जुटाने में नाकामी ने पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच हलचल मचा दी है।
अलीनगर में हुई इस रैली को मैथिली की राजनीतिक यात्रा का पहला सार्वजनिक परीक्षण माना जा रहा था। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि हेलिकॉप्टर की आवाज से पहले ही सभागार लगभग सूना पड़ा था। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पूर्व विधायक मिश्रीलाल यादव का टिकट काटकर मैथिली को प्रत्याशी बनाने के फैसले से स्थानीय स्तर पर भारी नाराजगी है। मिश्रीलाल यादव, जो बीजेपी के सिटिंग विधायक थे, ने टिकट न मिलने पर इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पार्टी ने युवा चेहरे के रूप में 25 वर्षीय मैथिली को चुना। लेकिन यह कदम उल्टा पड़ता दिख रहा है, क्योंकि जमीनी कार्यकर्ता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।
रैली स्थल पर पहुंचे कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मिश्रीलाल जी ने सालों की मेहनत से सीट को मजबूत किया था। अब बाहरी चेहरे को लाकर हमें क्यों ठुकराया जा रहा है? मैथिली बहन अच्छी गाती हैं, लेकिन राजनीति में अनुभव की कमी साफ दिख रही है।” विपक्षी दलों ने इसे बीजेपी की ‘हेलिकॉप्टर राजनीति’ करार देते हुए तंज कसा है। आरजेडी समर्थक अशुतोष नंदन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “मिथिला से बीजेपी का सुपड़ा साफ होना तय है। हेलिकॉप्टर से नेता उतर रहे हैं, लेकिन जनता नहीं।”
मैथिली ठाकुर, जो ‘सुपर सिंगर’ जैसे रियलिटी शो से प्रसिद्धि पाईं, ने हाल ही में बीजेपी जॉइन की थी। पार्टी ने उन्हें अलीनगर से टिकट देकर युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय विरोध ने उनके पिता की पुरानी विवादास्पद टिप्पणियों को फिर से हवा दे दी। उनके पिता पर लालू यादव के आने के बाद जातीय उन्माद फैलाने का आरोप लगाने वाले बयान के कारण मिथिला क्षेत्र में पहले से ही असंतोष व्याप्त है। मिथिला स्टूडेंट यूनियन जैसे संगठनों ने भी टिकट वितरण का विरोध किया था।
रैली में मैथिली ने अलीनगर को ‘आदर्श शहर’ बनाने का संकल्प दोहराया, लेकिन खाली कुर्सियों ने उनके संदेश की पहुंच को सीमित कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना बीजेपी के लिए चेतावनी है, खासकर मिथिला क्षेत्र में जहां विपक्ष मजबूत पकड़ बना रहा है। चुनाव के पहले चरण में अलीनगर सीट शामिल है, और अब मैथिली को नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने की चुनौती मिल गई है। क्या गायकी की मधुरता राजनीतिक तूफान को शांत कर पाएगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
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