Big Story: क्षत्रियो में जादौन कुल का इतिहास, रिकॉर्ड के अनुसार कहलाये कृष्ण वंश
Big Story: बुलंदशहर । क्षत्रियो के इतिहास में आज विशेष अंक के चलते जादौन क्षत्रियो के कुल के विषय मे जानकारी हासिल करने पर मालूम हुआ है कि जादौन कुल के क्षत्रिय ही भगवान श्री कृष्ण के वंश है|
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यह जानकारी जादौन कुल के व्रन्दावन जादौन ठाकुरो के पंडा जगा विनोद कुमार शर्मा के दुआरा बताई गई है कि सतयुग के समय चन्द्रवंश में ब्रह्मा जी के पुत्र हुए अत्रि इनकी पत्नी अनसुइया इनके पुत्र हुए चन्द्र जो चंद्रवंशी कहलाये इनके पुत्र बुध हुए इनके पूर्वा इनके हुए आयु इनके हुए नहुस इनके हुए अयाती ओर इनके हुए यदु इस कुल की 170 वी पीढ़ी में भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया इसी कुल में राजा अयाती का जन्म हुआ था तो उनकी दो रानिया थी पहली देवयानी यादव /जादौन ओर दूसरी पत्नी सर्विठा तौमर ठाकुर के नाम से जाना गया हस्तिनापुर वाले कहलाये ।श्री कृष्ण की तीसरी पीढ़ी पर यदु वंश के खत्म होने की बात आती है किन्तु श्री कृष्ण के नाती प्रदुम्मन की वहू वाड़ासुर की बेटी थी जिसका नाम उर्वा था जिस समय गांधारी ओर दुर्वासा ऋषि के श्राप के कारण सभी यादव/जादौन कुल खत्म होने की कगार पर था और उस समय द्वारिका समुद्र में डूब रही थी कि सभी इस कुल के लोग समाप्त हुए किन्तु उस समय उर्वा अपने मायके थी और उनके गर्भ में जो इस कुल का अंश बचा हुआ था उसका नाम कहलाया ब्रजनाव यह नाम और स्थान उत्तराखंड में बताया जाता है ।
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ब्रजनाव कि 77 वी पीढ़ी पर मथुरा के राजा हुए ययेंद्र पाल इनके बेटे विजयपाल बयाना करोली चले गए थे इनके 13 पुत्र थे जो हम जादौन कहलाये है जिसका विस्तार उत्तर प्रदेश के 13 जनपदों में 990 गॉव बसते है । एटा फिरोजाबाद आगरा हाथरस कासगंज बदायूं मथुरा अलीगढ़ बुलंदशहर गौतमबुद्ध नगर हापुड़ सम्भल अमरोहा साथ ही जादौन के इतिहास में यह भी बताया गया है कि श्री कृष्ण के बाबा सूरसेन जूनागढ़ (गुजरात) से बटेश्वर (फिरोजाबाद) आकर रहने लगे जिनके रिकॉर्ड के अनुसार 108 मंदिर आज भी बताए जाते है ।
श्री कृष्ण के पिता इसी वंश में यादव कहलाते थे क्योंकि यादव कुल क्षत्रिय वंश के नाम से ही पहले जाना जाता था किन्तु वासुदेव के यहां इनका पालन पोषण हुआ और वासुदेव अहीर थे किन्तु यह भी एक कड़ी में चन्द्रवंशी कहलाते है तो इसी कारण धीरे धीरे यादव कुल को जादौन कुल कहा गया है ।
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