Big News: गाजियाबाद में ‘फर्जी देश’ का दूतावास, करोड़ों की हवाला, विदेशी मुद्रा, फर्जी डिप्लोमैटिक नेटवर्क का खुलासा

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नोएडा एसटीएफ की छापेमारी में हर्षवर्धन जैन गिरफ्तार, कई देशों के झंडे, पासपोर्ट, डिप्लोमेटिक कार और नकली मोहरें बरामद

Big News: गाजियाबाद। देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुके एक अंतरराष्ट्रीय जालसाज का पर्दाफाश नोएडा एसटीएफ ने गाजियाबाद के कविनगर थाना क्षेत्र से किया है। माइक्रोनेशन (स्वयं-भू देश) के नाम पर फर्जी दूतावास चलाने, हवाला कारोबार और विदेशी मुद्रा की हेराफेरी करने वाले हर्षवर्धन जैन को मंगलवार रात गिरफ़्तार कर लिया गया।

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रात 10 बजे गिरी एसटीएफ की गाज
जानकारी के अनुसार, नोएडा एसटीएफ को सूचना मिली थी कि कविनगर स्थित कोठी नंबर KB-35 में अवैध रूप से कई देशों के झंडों और डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियों के साथ एक फर्जी दूतावास संचालित किया जा रहा है। मंगलवार रात एसटीएफ इंस्पेक्टर सचिन कुमार ने अपनी टीम और कविनगर पुलिस के साथ संयुक्त छापेमारी कर मुख्य आरोपी 47 वर्षीय हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया।

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मिला विदेशी मुद्रा और कूटनीतिक ढांचे का पूरा जखीरा
छापेमारी के दौरान जो वस्तुएं बरामद हुईं, उन्होंने जांच एजेंसियों को भी चौंका दिया।
बरामद सामान में शामिल हैं:

  • ₹44.70 लाख नकद

  • यूएई, यूरोप, अमेरिका समेत विभिन्न देशों की विदेशी मुद्राएं

  • 20 फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट

  • 4 लग्जरी कारें (जिन पर डिप्लोमैटिक प्लेट्स लगी थीं)

  • 7 फर्जी पासपोर्ट, 2 पैन कार्ड, 2 प्रेस कार्ड, 34 नकली सरकारी मोहरें

  • विदेश मंत्रालय की जाली मोहरों वाले दस्तावेज

  • लैपटॉप, मोबाइल, पेनड्राइव, 12 महंगी घड़ियां

  • और विभिन्न फर्जी पहचान पत्र

सोशल मीडिया से बनता था भरोसे का जाल
हर्षवर्धन जैन ने अपने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत कई प्रमुख हस्तियों के साथ मॉर्फ किए गए फोटो पोस्ट किए थे, जिन्हें वह अपने कार्यालय में भी लगाता था ताकि लोगों को प्रभावित कर सके।

फर्जी देशों का “राजदूत” बना बैठा था जैन
पूछताछ में सामने आया कि हर्षवर्धन खुद को फर्जी राष्ट्रों का प्रतिनिधि बताता था। उसने बताया कि वर्ष 2012 में ‘सेबोर्गा’ नाम के स्वयंभू देश ने उसे “एडवाइजर” नियुक्त किया था और वर्ष 2016 में ‘सेबोर्गा’ और ‘वेस्ट अंटार्कटिका’ के नाम पर उसने यह तथाकथित दूतावास खोला। ‘पौल्विया’ और ‘लोडोनिया’ जैसे अन्य स्वयं-भू देशों से भी उसने डिप्लोमैटिक पासपोर्ट बनवा लिए थे।

काली कमाई के पीछे था अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क
पुलिस रिकॉर्ड से पता चला है कि हर्षवर्धन का चंद्रास्वामी, सऊदी अरब के आर्म्स डीलर अदनान खरगोशी और एहसान अली सैयद जैसे विवादास्पद लोगों से भी संपर्क रहा है। वर्ष 2000 में लंदन में चंद्रास्वामी के जरिए इनसे मुलाकात हुई, जिसके बाद उसने लंदन और दुबई में दर्जनों कंपनियां खोलीं। ये कंपनियां दलाली, हवाला और फर्जीवाड़े के लिए इस्तेमाल की जाती थीं।

पहले भी रहा है विवादों में
हर्षवर्धन कोई नया खिलाड़ी नहीं है। वर्ष 2012 में कविनगर पुलिस ने उसके पास से एक सैटेलाइट फोन बरामद किया था, जिस पर पहले भी केस दर्ज है।

‘व्हाइट हाउस’ बनी कोठी का रहस्य
जिस कोठी से फर्जी दूतावास चलाया जा रहा था, वह इलाके में ‘व्हाइट हाउस’ के नाम से मशहूर थी। गेट पर बाउंसर खड़े रहते थे और रुतबा ऐसा कि कोई संदेह नहीं करता था।

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