2000 के नोट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से आई बड़ी खबर

सुप्रीम कोर्ट से आज 2000 के नोट को लेकर बड़ी खबर आई है। भारतीय रिजर्व बैंक के 2000 के नोटों को चलन से वापस लेने से जुड़ी जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा यह आरबीआई का एग्जीक्यूटिव पॉलिसी निर्णय है। याचिका में बिना किसी पहचान प्रमाण के ₹2000 के नोट बदलने की अनुमति को चुनौती दी गई थी। याचिका भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी।

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अब तक 76 प्रतिशत नोट वापस आए
भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार 30 जून तक बैंकों को 2000 रुपए के 76 प्रतिशत नोट मिले हैं। अब तक वापस आए नोटों की कुल धनराशि 2.72 लाख करोड़ रुपए हैं। आरबीआई के अनुसार सर्कुलेशन से वापस मिले 2,000 रुपए के कुल बैंक नोटों में से लगभग 87 प्रतिशत डिपॉजिट के रूप में हैं और शेष लगभग 13 प्रतिशत को अन्य मूल्य वर्ग के बैंक नोटों में बदल दिया गया है।

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आरबीआई ने लोगों से एक बार फिर अनुरोध किया है कि वे 2000 के नोट को 30 सितंबर 2023 से पहले बदल लें। किसी भी तरह की भीड़ और परेशानी से बचने के लिए आखिरी समय का इंतजार न करें। आरबीआई ने 19 मई को 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का ऐलान किया था। इसके तीन बाद यानी 23 मई से देशभर के बैंकों में इस नोट को बदलने की प्रक्रिया शुरू हो गई। लोग बैंकों में अपने नोट बदलने के लिए पहुंच रहे हैं। त्ठप् ने 30 सितंबर तक 2000 के नोट बदलने या अकाउंट में जमा कराने को कहा है। रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा है कि वो 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। त्ठप् ने बताया था कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया है। लोग किसी भी बैंक में एक बार में 10 नोट बदलवा सकते हैं, जबकि डिपॉजिट की कोई लिमिट नहीं है।

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