Big Breaking News : अरविंद केजरीवाल ने किया देश का सबसे बड़ा प्लांट का उद्घाटन

Big Breaking News : नई दिल्ली। दिल्ली को मलबा मुक्त कर खूबसूरत बनाने की दिशा में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने बड़ा कदम उठाया है। रविवार को निर्माण व विध्वंस से निकलने वाले मलबे को रिसाइकल कर टाइल्स, ईंट समेत अन्य उत्पाद बनाकर दोबारा इस्तेमाल करने के लिए सी एंड डी वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट की शुरूआत की गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस प्लांट का उद्घाटन किया।

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इस अवसर पर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि हमारा मकसद दिल्ली को खूबसूरत बनाना है और इसके लिए सी एंड डी प्लांट बेहद जरूरी हैं। कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन से निकले मलबे को इस प्लांट में लाकर टाइल्स, ईंट समेत अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे, जिसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा। करीब 7 एकड़ में फैला यह प्लांट देश का सबसे बड़ा प्लांट है, जहां प्रतिदिन दो हजार टन सी एंड डी वेस्ट की रिसाइक्लिंग की जा सकेगी। इस तरह दिल्ली को मलबे से भी छुटकारा मिल जाएगा। मेरी अपील है कि दिल्ली को साफ-सुथरा बनाने के लिए सभी दिल्लीवासी अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें।

इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय, विधायक एवं एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक, नेता सदन मुकेश गोयल और अफसरों के साथ सी एंड डी वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट का निरीक्षण किया। अधिकारियों ने बताया कि यह प्लांट बहुत ही आधुनिक तकनीक पर आधारित है। दिल्ली भर से यहां मलबा लाया जाएगा, जिसे तोड़ा जाएगा और फिर रिसाइकिल कर टाइल्स, ईंट आदि का आकार देकर दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा। जो मलबा दिल्ली को बदसूरत बनाता है, अब वही मलबा इस प्लांट से नए-नए आकार लेकर दिल्ली को खूबसूरत बनाएगा। इस दौरान सीएम ने प्लांट से बने टाइल्स, रोडी-बदरपुर, ईंट को भी देखा।

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केजरीवाल ने आगे कहा कि दिल्ली में अभी करीब 6500 टन मलबा प्रतिदिन निकलता है। इस तरह का दिल्ली में यह चौथा प्लांट है। इस प्लांट के अलावा रानीखेड़ा, शास्त्री पार्क और बक्करवाला में है। इन चारों प्लांट में करीब 5000 टन मलबे को प्रतिदिन रिसाइकिल करने की क्षमता है। जबकि दिल्ली में कुल 6500 टन मलबा रोज निकलता है इसके अलावा एक और प्लांट ओखला में बनाने का प्लांट है, जिसकी क्षमता एक हजार टन होगा। इसके अलावा मौजूद चारों प्लांट्स की थोडी क्षमता बढाई जाएगी। इसके बाद दिल्ली में निकलने वाले सारे मलबे की सी एंड वेस्ट रिसाइक्लिंब प्लांट में रिसाइक्लिंग हो जाएगी और उसका वापस इस्तेमाल होगा। इस तरह दिल्ली को मलबे से छुटकारा मिल जाएगा। दिल्ली में जितना मलबा निकलेगा, उसका प्लांट में रिसाइकिल होता जाएगा।

उन्होंने बताया कि जहांगीरपुरी में स्थापित यह प्लांट यूरोपियन टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जो सबसे आधुनिक टेक्नोलॉजी है। साथ ही यह प्लांट देश का सबसे बड़ा प्लांट है। इस प्लांट से बिल्कुल आवाज नहीं आती है। प्लांट के बिल्कुल पास आने पर भी इसकी आवाज नहीं सुनाई देती है। साथ ही धूल-मिट्टी भी नहीं उड़ती है।

दिल्ली को कूड़ा मुक्त के साथ मलबा मुक्त भी बनाया जा रहा- डॉ. शैली ओबरॉय
दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय ने कहा कि पूरी दिल्ली में सी एंड डी वेस्ट डालने के लिए स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां पर लोग मलबा डाल सकते हैं। इससे दिल्ली में अभी तक जो जगह-जगह मलबे के ढ़ेर दिखते हैं, वह नहीं दिखेंगे। साथ ही चिन्हित स्थानों पर मलबा डालने से प्रदूषण भी नहीं फैलेगा। उन्होंने कहा कि बुराड़ी में अत्याधुनिक तकनीक से युक्त सीएंडडी प्लांट बनाया गया है। वर्तमान में यह देश का सबसे बड़ा प्लांट है, जहां पर प्रतिदिन 2 हजार टन प्रतिदिन सीएंडडी वेस्ट का निस्तारण हो सकेगा। दिल्ली में जल्द एक और प्लांट स्थापित किया जाएगा।

जहांगीरपुरी में स्थापित कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट के बारे में
कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट प्रोसेसिंग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) नियम 2016 भारत में सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदार निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य संसाधन संरक्षण और मलबा के उचित निस्तारण को बढ़ावा देते हुए निर्माण और विध्वंस के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है। दिल्ली में करीब 6000-6500 टन प्रतिदिन (टीपीडी) मलबा निकलता है। अभी दिल्ली में बुराड़ी के जहांगीरपुरी (2000 टीपीडी), रानी खेड़ा (1000 टीपीडी), शास्त्री पार्क (1000 टीपीडी) और बक्करवाला (1000 टीपीडी) में चार सी एंड डी वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट हैं। इन प्लांट्स की करीब 5000 टीपीडी रिसाइक्लिंग की क्षमता है। इसके अलावा, एमसीडी थेखंड, ओखला में 1000 टीपीडी की क्षमता का एक और वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने की योजना है।

प्लांट की विशेषताएं

  • यह प्लांट आउटपुट सामग्री के विभिन्न ग्रेड सुनिश्चित करने के लिए दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक में से एक पर आधारित है।
  • यह तकनीक जीरो डिस्चार्ज और बेहद कम ध्वनि पैदा करता है।
  • यह प्लांट 90-95 फीसद वाटर रिसाइक्लिंग और वेस्ट वाटर के जीरो निर्वहन के साथ ग्रीन टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
  • प्लांट स्मार्ट और आईओटी से जुड़ा है और कमांड व कंट्रोल सेंटर के माध्यम से रिमोट मॉनिटरिंग, कंट्रोल करने में सक्षम है।
  • यह तकनीक आईएसरू383/2016 में निर्धारित निर्देशों के अनुसार सी एंड डी को विभिन्न आकारों के रेत और एग्रीगेट में परिवर्तित करने में सक्षम है।
  • टाइल्स, पेवर्स, सीसी ईंटें, ब्लॉक और कर्ब स्टोन जैसे उत्पादों को रिसाइकल्ड कर दोबारा उपयोग किया जाता है।
  • बुराड़ी के पास जहांगीरपुरी में देश का सबसे बड़ा कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट रिसाइक्लिंग एंड प्रोसेसिंग प्लांट 2009 में स्थापित किया गया था। प्लांट के
  • चालू होने के बाद से यहां 60 लाख मीट्रिक टन सी एंड डी वेस्ट प्राप्त और प्रोसेस्ड किया गया है।

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