Bengaluru News: कर्नाटक सरकार ने बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को हुई भगदड़ की घटना के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को जिम्मेदार ठहराया है। इस दुखद हादसे में 11 लोगों की जान चली गई थी और 50 से अधिक लोग घायल हो गए थे। कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट को सौंपी अपनी स्टेटस रिपोर्ट में RCB के प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है।
कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, RCB ने अपनी पहली आईपीएल ट्रॉफी जीतने के बाद 4 जून को आयोजित विजय परेड के लिए पुलिस से आवश्यक अनुमति नहीं ली थी। इसके बजाय, फ्रेंचाइजी ने 3 जून को केवल सूचना दी, जो कि 2009 के नगर नियमों के तहत औपचारिक अनुमति के लिए अपर्याप्त थी। इसके बावजूद, RCB ने सोशल मीडिया पर विजय परेड का प्रचार किया, जिसमें पूर्व कप्तान विराट कोहली का एक वीडियो भी शामिल था, जिसमें उन्होंने प्रशंसकों को मुफ्त प्रवेश के साथ समारोह में शामिल होने की अपील कर रहे है। इस अपील के कारण स्टेडियम के बाहर 3 लाख से अधिक प्रशंसकों की भीड़ जमा हो गई, जो आयोजन स्थल की क्षमता और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था से कहीं ज्यादा थी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि RCB, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA), और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट ने समन्वय में विफलता दिखाई। स्टेडियम के गेट समय पर नहीं खोले गए, जिसके कारण भीड़ में भगदड़ मच गई। गेट नंबर 1, 2, और 21 सहित कई प्रवेश द्वारों पर अराजकता फैल गई, जिसके परिणामस्वरूप यह त्रासदी हुई। इस हादसे में सात पुलिसकर्मी भी घायल हुए।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन ने भीड़ की संख्या और सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी के अभाव में आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद, RCB ने सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजन का प्रचार जारी रखा, जिसके कारण भारी भीड़ जमा हुई।
रिपोर्ट में विराट कोहली के वीडियो का जिक्र है, जिसमें उन्होंने प्रशंसकों से विजय परेड में शामिल होने की अपील की थी। इस वीडियो को 44 लाख बार देखा गया, जिसके कारण प्रशंसकों की भारी भीड़ स्टेडियम और आसपास के इलाकों में जमा हो गई।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट ने सरकार के उस अनुरोध को खारिज कर दिया, जिसमें रिपोर्ट को गोपनीय रखने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा कि गोपनीयता का कोई कानूनी आधार नहीं है और इस रिपोर्ट को RCB, KSCA, और डीएनए एंटरटेनमेंट के साथ साझा करने का आदेश दे दिया। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि इस मामले में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे।
इस घटना की जांच के लिए रिटायर्ड जज जॉन माइकल डी’कुन्हा के नेतृत्व में एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट 11 जुलाई को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को सौंपी। इस रिपोर्ट में RCB, KSCA, डीएनए एंटरटेनमेंट, और बेंगलुरु पुलिस को जिम्मेदार ठहराया गया है। साथ ही, सरकार ने पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया था, जिनमें बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर भी शामिल थे। हालांकि, सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) ने IPS अधिकारी विकास कुमार को बहाल कर दिया, यह कहते हुए कि पुलिस को पर्याप्त समय और जानकारी नहीं दी गई थी।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि इस रिपोर्ट पर 17 जुलाई को कैबिनेट बैठक में चर्चा की जाएगी। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) अपनाने की सिफारिश की गई है। इस मामले में RCB, KSCA, और डीएनए के खिलाफ लापरवाही और गैर-इरादतन हत्या के आरोप में FIR दर्ज की गई है।

