प्राधिकरण अफसर फेर रहे सीएम योगी की महेनत पर पानी, निवेशको का हट रहा मन
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प्राधिकरण अफसर फेर रहे सीएम योगी की महेनत पर पानी, निवेशको का हट रहा मन

नोएडा। यूपी में निवेश के लिए ग्लोबल इंवेस्टर समिट में कई सौ करोड़ रूपये खर्च करने के बाद भी सीएम योगी की महेनत पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इस दौरान नोएडा प्राधिकरण के साथ 97 हजार करोड़ की एमओयू कर चुके निवेशकों में से करीब 10 हजार करोड़ के निवेशकों का मन हट रह है। वजह है प्राधिकरण अफसरों की मनमानी और बिना प्लानिंग के चलना। ऐसे में लखनऊ में अगले ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) में नोएडा प्राधिकरण को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

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बता दें कि नोएडा प्राधिकरण ने कुछ दिनों पहले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में 92590 करोड़ का एमओयू साइन कराया है। इसमें 2000 करोड़ से अधिक के 10,1000 करोड़ से अधिक के 25 और 500 करोड़ से अधिक के 49 निवेशकों समेत करीब 400 निवेशक शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक विभाग की ओर से करीब 32 हजार करोड़, संस्थागत विभाग से करीब 19 हजार करोड़, वाणिज्यिक से करीब 30 हजार करोड़, और ग्रुप हाउसिंग विभाग की ओर से करीब 11500 करोड़ के निवेश प्रस्ताव शामिल हैं।
पहले चरण में शासन की ओर से नोएडा प्राधिकरण को आगामी समिट में 60 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव के साथ आने का लक्ष्य दिया था। प्राधिकरण ने कोशिश भी शुरू कर दी थी और करीब 50 हजार करोड़ के निवेश प्रस्ताव को धरातल पर उतारने की तैयारी की थी। वहीं करीब 10 हजार करोड़ के निवेशकों को और इसमें जोड़ना था। नियम के तहत इसमें उन निवेशकों को शामिल किया जा रहा है, जिनका जमीन आवंटन के बाद कम से कम नक्शा पास हुआ है। माना जा रहा था कि यह निवेशक नोएडा में अपना सेटअप खड़ा करने की कोशिश शुरू कर चुके हैं।

औद्योगिक विभाग को ये परेशानी
औद्योगिक विभाग के निवेशकों में अडानी ग्रुप करीब 5500 करोड़ का निवेश करना चाहता है। मगर वह नोएडा में नहीं बल्कि अब न्यू नोएडा के लिए निवेश करना चाहता है। ऐसे में नियम के तहत इनको जीबीसी में नहीं ले जाया जा सकता है। इसी तरह से लुलु ग्रुप की ओर से करीब 2500 करोड़ के निवेश के लिए एमओयू साइन किया गया था। लेकिन अब बताया जा रहा है कि लुलु ग्रुप इस पर फिर से अब सोच विचार कर रहा है कि निवेश किया जाएं या नही। इसी तरह से कुछ अन्य छोटे समूह हैं, जो कि न्यू नोएडा में जमीन लेना चाहते हैं। यही सब कारण है कि नोएडा प्राधिकरण के अफसर इन पर सोच नही पा रहे है।

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संस्थागत के पास नहीं है प्लॉट
संस्थागत विभाग के तहत ग्लोबल इंवेस्टर समिट यूनिवर्सिटीज, एमआई इंटरनेशनल, एस इंफ्रास्ट्रक्चर समेत करीब पांच-छह कंपनियां ऐसी हैं, जिनको देने के लिए प्राधिकराण के पास अभी भूखंड नहीं है। सेक्टर-161 और 163 में प्राधिकरण प्रयास कर रहा है कि यहां जमीन का अधिग्रहण किया जाए ताकि जमीन दी जा सके। लेकिन इसमें खासा समय लगने की उम्मीद है। एक-एक निवेशक को 10 एकड़ से लेकर 25 एकड़ तक जमीन चाहिए, जो कि 500 से 1000 करोड़ का निवेश करने का वादा कर चुके हैं। यहा भी प्राधिकरण की उदासीनता की वजह से किसान अपनी जमीन देना नही चाहते है।

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