क्वाड शिखर सम्मेलन 2026 मेजबानी कर सकता है भारत, ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीज ने जताई उम्मीद

Quad Summit News: क्वाड (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) के चार प्रमुख देशों – भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया – के बीच सहयोग को मजबूत करने वाला अगला शिखर सम्मेलन अगले साल की पहली तिमाही में हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने सोमवार को मलेशिया के कुआलालंपुर में आयोजित आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान यह उम्मीद जताई। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस बैठक की मेजबानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। यह बयान तब आया है जब क्वाड की इस साल भारत में प्रस्तावित बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यस्तताओं और जापान की आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता के कारण टल चुकी है।

अल्बनीज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्वाड को “क्षेत्रीय सहयोग का महत्वपूर्ण मंच” बताते हुए कहा, “क्वाड ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत को जोड़ने वाला एक अहम फोरम है। मुझे उम्मीद है कि अगले साल की पहली तिमाही में इसकी बैठक होगी, और प्रधानमंत्री मोदी इसका आयोजन करेंगे।” उन्होंने बैठक में देरी के सवाल पर स्पष्ट किया कि यह “व्यस्त शिखर सम्मेलन सत्र” है, जिसमें ट्रंप का कार्यक्रम बेहद भरा हुआ है।

फरवरी 2025 में भारत-अमेरिका के बीच जारी संयुक्त बयान में भी मोदी ने ट्रंप को नई दिल्ली में क्वाड शिखर के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन अब यह 2026 में शिफ्ट हो गया है।

ट्रंप की एशिया यात्रा: व्यापार और शांति समझौतों पर फोकस
ट्रंप इन दिनों एशिया के तीन देशों – मलेशिया, जापान और दक्षिण कोरिया – के दौरे पर हैं। यह यात्रा 26 अक्टूबर को कुआलालंपुर पहुंचकर शुरू हुई, जहां उन्होंने आसियान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। यहां थाईलैंड और कंबोडिया के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसे ट्रंप ने जुलाई में ही मध्यस्थता करके करवाया था। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने ट्रंप की भूमिका की सराहना की और कहा कि यह समझौता क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मील का पत्थर है।

ट्रंप का अगला पड़ाव जापान है, जहां से वे दक्षिण कोरिया के ग्यॉंगजू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) शिखर सम्मेलन के लिए रवाना होंगे। यहां 30 अक्टूबर को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की उम्मीद है, जिसमें व्यापार, तकनीक और ताइवान जैसे मुद्दे प्रमुख होंगे। सफर के दौरान ट्रंप ने ब्राजील के साथ व्यापार समझौते की गारंटी दी और कंबोडिया-थाईलैंड शांति पैक्ट की देखरेख की। हालांकि, अमेरिकी टैरिफ नीतियां एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के लिए चुनौती बनी हुई हैं।

भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव: रूसी तेल और टैरिफ का विवाद
क्वाड बैठक की देरी का एक बड़ा कारण भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव है। अगस्त 2025 में ट्रंप ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50% तक टैरिफ लगा दिए, जिसमें 25% रूसी तेल खरीद पर “सजा” के रूप में अतिरिक्त था। ट्रंप का कहना है कि भारत की रूसी तेल खरीद (जो यूक्रेन युद्ध के बाद सस्ती हुई) मॉस्को की अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही है। भारत ने इसे “अनुचित और अस्वीकार्य” बताया, क्योंकि चीन जैसे अन्य बड़े खरीदारों पर ऐसी पाबंदी नहीं लगी।

हालांकि, हालिया रिपोर्ट्स में संकेत मिले हैं कि व्यापार वार्ता आगे बढ़ रही है। ट्रंप ने दावा किया कि मोदी ने रूसी तेल खरीद धीरे-धीरे कम करने का आश्वासन दिया है, जिसके बदले अमेरिका टैरिफ को 15-16% तक घटा सकता है। भारत सरकार ने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा प्राथमिकता है, लेकिन चर्चाएं जारी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद क्वाड जैसे मंचों को प्रभावित कर रहा है, लेकिन दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सहयोग बनाए रखना चाहते हैं।

जापान की राजनीतिक उथल-पुथल ने बढ़ाई चुनौतियां
क्वाड बैठक में देरी का दूसरा कारण जापान की आंतरिक अस्थिरता है। वहां चल रही सियासी उठापटक ने नेतृत्व परिवर्तन की संभावना पैदा कर दी है, जो बहुपक्षीय बैठकों को प्रभावित कर रही है। ट्रंप के जापान दौरे के दौरान इस मुद्दे पर चर्चा होने की उम्मीद है।

क्वाड, जो 2007 में शुरू हुआ, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मुक्त और खुला समुद्री मार्ग सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। 2024 में अमेरिका में हुई पिछली बैठक में मोदी ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य सुरक्षा और तकनीकी सहयोग पर जोर दिया था। 2026 की बैठक भारत के लिए महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि यह “विकसित भारत 2047” के विजन को मजबूत करेगी।

विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के बावजूद क्वाड मजबूत रहेगा, लेकिन व्यापार विवादों का समाधान जरूरी है। आसियान शिखर के दौरान पीएम मोदी ने भी कहा, “21वीं सदी भारत और आसियान की है,” जो क्षेत्रीय एकजुटता का संदेश देता है।

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