प्रयागराज में अतीक-अशरफ की हत्या के मामले में धूमनगंज पुलिस के एक दावे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल ले जाए जाते वक्त कैमरे के सामने अतीक व अशरफ सही सलामत नजर आते हैं। मगर धूमनगंज पुलिस का दावा है कि तबीयत ठीक नहीं होने की शिकायत पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था।
ये दर्ज हुई रिपोर्ट
इस हत्याकांड में धूमनगंज इंस्पेक्टर राजेश कुमार मौर्य की ओर से तहरीर दी गई है। इसमें लिखा है कि 15 अप्रैल की शाम अतीक व अशरफ ने बेचैनी होने की बात बताई। इस पर उन्हें अस्पताल ले जाने के लिए रात 10.19 मिनट पर पुलिस टीम दोनों को लेकर कॉल्विन अस्पताल के लिए निकली।
खास बात यह है कि वारदात से पहले कॉल्विन अस्पताल के गेट पर पहुंचने के दौरान दोनों न सिर्फ सही सलामत नजर आए थे बल्कि मीडिया से बातें भी की थीं। चर्चा इस बात की भी है कि पुलिस खुद के बचाव के लिए यह तर्क दे रही है।
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दअरसल कोर्ट ने अतीक व अशरफ को कस्टडी रिमांड पर देने के लिए जो शर्तें तय की हैं, उनमें कहीं भी प्रतिदिन मेडिकल कराए जाने का जिक्र नहीं है। इसमें आदेशित किया गया है अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा से पुलिस अभिरक्षा में लेने से पहले उनका मेडिकल परीक्षण कराया जाए। इसके बाद पुनः पुलिस अभिरक्षा से न्यायिक अभिरक्षा में दिए जाते समय उनका चिकित्सीय परीक्षण व कोरोना की जांच कराई जाएगी।
अतीक व अशरफ की हत्या के बाद जहां जेल की बैरकों में लगी टीवी को बंद करा दिया गया। संडे सुबह अखबार भी नहीं बांटा गया। रोजना की तरह सुबह छह बजे अखबार जेल पहुंचे तो गेट पर मौजूद बंदी रक्षकों ने उसे रिसीव किया, लेकिन कैंटीन व बैरक में पहुंचने से पहले ही उसे हटा दिया गया। जेल में हिंदी के सौ से अधिक व अंग्रेजी के एक दर्जन अखबार प्रतिदिन मंगाए जाते हैं। उन्हें जेल की कैंटीन में रखा जाता है। नियमित अखबार पढ़ने वाले बंदियों को उनकी बैरक में अखबार दिया जाता है। कुछ वीआईपी बंदियों तक अखबार पहुंचा।
मालूम हो कि प्रयागराज में माफिया अतीक अहमद और अशरफ की शनिवार की रात में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। रात साढ़े 10 बजे के बाद अतीक और अशरफ को उस वक्त गोली मारी गई जब वो दोनों मेडिकल जांच के लिए अस्पताल लाया गए थे। मीडियाकर्मी बनकर आए तीन हमलावरों ने दनादन गोलियां बरसाईं। एक पुलिसकर्मी और एक पत्रकार भी इस घटना में घायल हुआ था।