इंडिया गेट पर प्रदूषण विरोधी प्रदर्शन, हिडमा से भड़का विवाद

Anti-pollution protest news: राजधानी दिल्ली में जहरीली हवा का संकट चरम पर पहुंच गया है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) कई इलाकों में 400 से ऊपर पहुंच चुका है। इस संकट के खिलाफ रविवार शाम को इंडिया गेट पर एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन का आयोजन हुआ, लेकिन यह जल्द ही एक बड़े विवाद में बदल गया।

प्रदर्शनकारियों के बीच कुख्यात नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के पोस्टर और ‘लाल सलाम’, ‘कॉमरेड हिडमा अमर रहे’ जैसे नारे लगने से हड़कंप मच गया। पुलिस ने दो थानों में FIR दर्ज कर 23 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि कुछ प्रदर्शनकारियों पर पुलिसकर्मियों पर पेपर स्प्रे से हमले का आरोप लगा है।

प्रदर्शन का आगाज
दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के आगमन के साथ ही वायु प्रदूषण ने ‘सीवियर’ श्रेणी में प्रवेश कर लिया है। रविवार को औसत AQI 381 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में है। दिल्ली कोऑर्डिनेशन कमेटी फॉर क्लीन एयर (DCCCA) द्वारा आयोजित इस प्रदर्शन में छात्र, अभिभावक, पर्यावरण कार्यकर्ता और सामान्य नागरिक शामिल हुए। वे इंडिया गेट के सी-हेक्सागन क्षेत्र में इकट्ठा होकर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे थे। नारे लग रहे थे- “एक्यूआई 400 पार, कहां है मोदी सरकार?”, “साफ हवा सबका हक है” और “दिल्ली हेल्थ के लिए हानिकारक है”।

कार्यकर्ताओं का कहना था कि सरकार क्लाउड सीडिंग, वाटर स्प्रिंकलिंग जैसे अस्थायी उपायों पर निर्भर है, जबकि लंबी अवधि की नीतियां- जैसे पराली जलाने पर रोक, वाहनों का इलेक्ट्रिकरण और औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण- गायब हैं। DCCCA ने बयान जारी कर कहा, “जब राज्य खुद हवा को जहर बना दे, तो लोगों को एकजुट होना पड़ता है।” यह प्रदर्शन नवंबर में दूसरा बड़ा आंदोलन था। 9 नवंबर को भी सैकड़ों लोग, जिनमें मांएं बच्चों के साथ थीं, इंडिया गेट पर जुटे थे।

विवाद की शुरुआत
शांतिपूर्ण प्रदर्शन दोपहर चार बजे के आसपास शुरू हुआ, लेकिन शाम होते-होते माहौल गरम हो गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दिखा कि कुछ प्रदर्शनकारियों के हाथों में हाल ही में आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले में पुलिस एनकाउंटर में मारे गए नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के पोस्टर थे। हिडमा, जिसकी सुरक्षा एजेंसियां सालों से तलाश कर रही थीं, को ‘आदिवासी नेता’ बताते हुए नारे लगाए गए- “हिडमा अमर रहे”, “जितने हिडमा मारोगे, हर घर से हिडमा निकलेगा” और “बिरसा मुंडा की तरह हिडमा का फर्जी एनकाउंटर”। एक प्रदर्शनकारी ने हिडमा की तुलना स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा से कर दी।

इससे प्रदर्शन का चरित्र बदल गया। कई कार्यकर्ताओं ने इसे ‘चरमपंथी घुसपैठ’ करार दिया, जबकि कुछ ने इसे आदिवासी अधिकारों से जोड़ा। सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई, जहां एक तरफ प्रदूषण के मुद्दे को कमजोर करने का आरोप लगा, वहीं दूसरी तरफ ‘एंटी-नेशनल’ स्लोगन बताकर सख्त कार्रवाई की मांग हुई।

पुलिस कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दिल्ली में प्रदर्शन के लिए जंतर-मंतर ही नामित स्थान है, न कि इंडिया गेट। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड्स के पीछे रहने की चेतावनी दी, लेकिन वे अवरोधक तोड़कर सड़क पर बैठ गए। इससे एम्बुलेंस और ट्रैफिक बाधित हो गया। हटाने की कोशिश में तनाव बढ़ा और कुछ प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर पुलिस पर पेपर स्प्रे छिड़क दिया। इससे 3-4 पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिन्हें आरएमएल अस्पताल ले जाया गया।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़े और सड़क जाम की। हटाने पर हिंसा हुई। दो FIR दर्ज हैं- एक पुलिस पर हमले और सड़क अवरोध के लिए, दूसरी नक्सली समर्थन के लिए।” कुल 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें JNU से जुड़े छात्र कार्यकर्ता भी शामिल बताए जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस वीडियो फुटेज खंगाल रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
विपक्ष ने पुलिस कार्रवाई की निंदा की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “साफ हवा की मांग करने वालों को अपराधी क्यों बनाया जा रहा है? मोदी सरकार करोड़ों भारतीयों के स्वास्थ्य की परवाह नहीं करती।” AAP के सौरभ भारद्वाज ने कहा, “प्रदूषण पुरानी समस्या है, लेकिन बुद्धिजीवी पहली बार सड़क पर हैं। ट्रस्ट डेफिसिट है।” प्रियंका गांधी ने भी ट्वीट कर सरकार को घेरा।

दूसरी ओर, BJP ने प्रदर्शन को ‘वामपंथी एजेंडा’ बताया। एक BJP नेता ने कहा, “प्रदूषण के नाम पर नक्सली प्रचार। ये JNU के वही चेहरे हैं।” मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए 10,000 इलेक्ट्रिक हीटर वितरण की घोषणा की, लेकिन विपक्ष ने इसे ‘जुमला’ करार दिया।

क्या आगे? प्रदूषण का भविष्य
कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने GRAP-4 के तहत स्कूल बंदी और निर्माण रोक जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ये अस्थायी हैं। प्रदर्शनकारियों ने NCR के मुख्यमंत्रियों की आपात बैठक की मांग की। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, यह प्रदर्शन दिल्ली की ‘गैस चैंबर’ स्थिति पर दुर्लभ जन-आक्रोश दिख रहा है।

यह विवाद न केवल प्रदूषण, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा चिंताओं को उजागर करता है। पुलिस जांच जारी है, और प्रदूषण का संकट बरकरार। क्या सरकार सुन पाएगी इन आवाजों को, या यह सिलसिला और लंबा खिंचेगा? समय ही बताएगा।

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