Anil Dujana Encounter: बीस साल पहले देहात के रास्तों पर वाहन लूट की घटनाओं को अंजाम देने वाला अनिल दुजाना आखिर कैसे अपराध की दुनिया का बादशाह बना ये जानने के लिए हर एक व्यक्ति के मन में सवाल उठ रहे है। बताया जा रहा है कि कई गैंग में शामिल रहा और उसके बाद राजनतिक संरक्षण के चलते उसने अपना गैग अलग बना लिया। उसके राजनेता आका दुजाना को पुलिस से बचा लेते थे लेकिन बदले में किसी को धमकाने और जमीनों पर कब्जा कराने के लिए प्रयोग करते थे।
यह भी पढ़े : कुख्यात अनिल दुजाना का ये है अपराध की दुनिया का सफर, जानें यूपी में अब किस की बारी
17 साल पहले हुआ था पहली बार गिरफ्तार
17 साल पहले पहली बार दादरी कोतवाली पुलिस ने डाबरा गांव से उसको चार साथियों के साथ मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया था। सभी से आधुनिक पिस्टल बरामद की थी। भट्टा मालिकों और व्यापारियों से रंगदारी वसूली जाती रही। रंगदारी नहीं देने पर जान से मारने की धमकी देने, हमला करने और हत्या तक करने से गैंग के सदस्य पीछे नहीं हटते थे। तीन बार दादरी में गिरोह का सफाया करने के लिए तेजतर्रार कोतवाल और दरोगा तैनात किए थे।
दादरी कोतवाली क्षेत्र के दुजाना गांव निवासी अनिल दुजाना, नंगला नैनसुख के नंदू उर्फ रावण का गिरोह सक्रिय रहा है। इसके संबंध नरेश भाटी के गिरोह से थे। दादरी क्षेत्र में वाहन लूटते थे। वाहन लूटने के बाद अपराधिक वारदात को अंजाम देते थे। भट्टा मालिकों से रंगदारी वसूली करने, दादरी के व्यापारियों से रंगदारी वसूली के लिए चर्चित रहे है। रंगदारी नहीं देने पर सरेआम व्यापारियों की हत्या की जाती रही है। दादरी में गिरोह से तंग व्यापारियों ने दादरी में लंबे समय तक आंदोलन चलाया। रंगदारी वसूली बंद कराने की मांग की गई। रंगदारी का विरोध करने पर एक व्यापारी नेता की भी सरेआम दादरी में हत्या कर दी गई थी।
यह भी पढ़े : पुलिस ने किया चौंकाने वाला खुलासाः तीन साल बाद मृतक निकला जिंदा
गैंग के सफाए के लिए कोतवाल धमेंद्र चैहान किये थे तैनात
अनिल दुजाना और उसकी गैंग का ऐसा आतंक था कि शासन स्तर पर मामला संज्ञान लेते हुए दादरी में कोतवाल धमेंद्र चैहान को तैनात किया था। उस दौरान पुलिस ने मुठभेड़ के बाद डाबरा गांव से अनिल दुजाना समेत चार अन्य साथियों को गिरफ्तार किया था। 17 साल पहले गिरोह के सदस्यों से आधुनिक पिस्टल बरामद की गई थी। जेल से छूटने के बाद गिरोह सक्रिय रहा। देखते ही देखते गिरोह में लोगों की संख्या बढ़ती गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सुपारी किलर के रूप में विख्यात हो गया। जेल में रहते हुए ही गिरोह के सदस्य सक्रिय रहे है। गिरोह का काम लगातार चलता रहा है। गिरोह का सदस्य के जेल जाने के बाद उसके परिवार को खर्च पहुंचाया जाता रहा है। अनिल दुजाना के नाम पर गिरोह के सदस्य भी धमकी देते रहे हैं। कई बार किसी की भी जमीन कब्जाने के लिए संपत्ति को अनिल दुजाना की बताकर प्रचारित भी किया जाता
अनिल दुजाना के नाम दर्ज थे 50 मुकदमे
वेस्ट यूपी से लेकर दिल्ली तक आतंक का पर्याय बन चुके गैंगस्टर अनिल दुजाना की तलाश जमानत मिलने के बाद तिहाड़ जेल से छूटने के बाद से एसटीएफ को थी। उसके गैंग के 40 सदस्यों में से 17 के खिलाफ पुलिस बीते कुछ सालों में कानूनी शिकंजा कसती जा रही थी। उसके खिलाफ कुल 50 मुकदमे दर्ज थे, जिनमें से एक में उसे तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई जा चुकी थी, जबकि दो मुकदमों में वह बरी हो चुका था। दुजाना के लंबे आपराधिक रिकॉर्ड की वजह से उसका नाम शासन द्वारा चिन्हित 66 माफिया की फेहरिस्त में शामिल किया गया था। पुलिस दुजाना की 2.30 करोड़ रुपये की संपत्तियों को जब्त भी कर चुकी है।
यह भी पढ़े : Ghaziabad:CM Yogi की ऐसी होगी सुरक्षा,2KM तक अस्थायी रेड जोन घोषित
जिला गौतमबुद्धनगर में बचे है 6 गैंगस्टर
सुंदर भाटीः पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध की दुनिया का सबसे बड़ा नाम है। यह ग्रेटर नोएडा के घंघोला गांव का रहने वाला है। यह 1990 के बाद से ही अपराध की दुनिया में सक्रिय रहा है। वर्तमान में सुंदर भाटी सोनभद्र जेल में बंद है। अतीक- अशरफ हत्याकांड के आरोपियों से भी इसका नाम जुड़ा था।
अनिल भाटीः यह कुख्यात सुंदर भाटी का भतीजा है और अब सुंदर गैंग को सक्रिय रूप से देखता है। हालांकि यह दिल्ली की जेल में बंद है। सुंदर भाटी की उम्र होने के बाद उसका आर्थिक व क्राइम के साम्राज्य में इसका काफी दखल है।
सिंहराज भाटीः यह भी कुख्यात सुंदर भाटी के रिश्ते में भतीजा लगता है। इसने भी सुंदर के साथ मिलकर अपराध की दुनिया में बड़ा गिरोह खड़ा किया और आर्थिक स्थिति को भी बेहतर किया है। यह भी जेल में बंद है। इसका पश्चिमी यूपी से लेकर आसपास के राज्यों के गैंग से बेहतर संबंध रहा है।
अमित कसानाः अमित कसाना पश्चिमी यूपी की जरायम की दुनिया का बड़ा नाम है। ग्रेटर नोएडा में नब्बे की दशक में इसके मामा नरेश भाटी की हत्या की दी गई थी। तब वह सुंदर भाटी गिरोह से बदला लेने के लिए अपने मामा के गैंग को संभाला था। अमित कसाना भी दिल्ली की जेल में बंद है।
5. रणदीप भाटीः यह कुख्यात सरगना रहा नरेश भाटी का छोटा भाई है। यह भी जनपद का बड़ा गैंगस्टर है और कई गिरोह के साथ इसके गुर्गों के संबंध हैं। इसने भी अवैध तरीके से आर्थिक संपन्नता हासिल की है। यह भी जेल में बंद है।
6. मनोज उर्फ आसेः यह इन सबसे नया गैंगस्टर है। यह ग्रेटर नोएडा के इमलिया गांव का रहने वाला है और अभी फरार चल रहा है। इसका गैंग कुछ महीने ही पंजीकृत हुआ है। इस पर भी हत्या, रंगदारी जैसे संगीन कई मुकदमें दर्ज हैं।