Noida: किसानों से जमीन बिना खरीदे ही स्कीम निकालने वाले नोएडा ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण अब अपनी कार्यशैली में बदलाव करने जा रहे हैं। विवादों से बचने के लिए शासन की ओर से जारी आदेश के तहत जब तक किसानों से जमीन खरीदी नहीं जाएगी तब तक कोई भी स्कीम निकाली नहीं जाएगी। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण से एक मामले में जवाब तलब किया है। इसमें सेक्टर 150 में प्राधिकरण ने किसानों से जमीन बिना अधिग्रहण किए ही बिल्डर को बेच डाली। इसके बाद जमीन को लेकर दिक्कतें सामने आने लगी। बिल्डर ने प्राधिकरण को पैसा भी दिया लेकिन वह डेवलपमेंट भी नहीं कर पा रहा था।
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ऐसे में यह भूखंड निरस्त कर दिया गया। इस मामले में बिल्डर ने न्याय के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने प्राधिकरण से जवाब तलब किया कि बिना अधिग्रहित की गई जमीन बिल्डर को क्यों बेच दी। ऐसा ही एक मामला इससे पहले आम्रपाली में भी सामने आ चुका है। करीब 4000 वर्ग मीटर जमीन जो किसान से अधिग्रहित नहीं की उसे भी प्राधिकरण बेच दिया था। बाद में किसान व प्राधिकरण के बीच कानूनी लड़ाई चलती रही। ऐसा ही मामला यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में सामने आया प्राधिकरण ने 2013 में औद्योगिक भूखंडों की स्कीम निकाली। इसमें 55 उद्योग ऐसे थे जिनकी जमीन बिना अधिग्रहित किए ही औद्योगिक भूखंडों के रूप में आवंटित कर दिए गए। 10 साल बाद भी यमुना प्राधिकरण इस जमीन को नहीं खरीद पाया। आवंटी इधर उधर धक्के खाते रहे।
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बिना अधिग्रहित की जमीन बेचने के बाद किसानों ने कई शर्तें प्राधिकरण के समक्ष रखीं। प्राधिकरण इन सभी शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। कुल मिलाकर कहा जाएं तो प्राधिकरण ने आवंटी से पैसा लिया और किसान को दिया नहीं। जिसके चलते भूखंड लेने वाला व्यक्ति ही परेशान होता रहा। इन्हीं सब विवादों से बचने के लिए अब प्राधिकरण अपनी कार्यशैली में बदलाव करने जा रहे हैं ताकि किसी को भी कोई समस्या ना हो।