Rampur/Akhilesh-Azam Meeting News: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ आ गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को रामपुर पहुंचकर वरिष्ठ नेता आजम खान से मुलाकात की। यह मुलाकात करीब दो साल बाद हुई, जब आजम खान 23 महीने की जेल यात्रा के बाद 22 सितंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर रिहा हुए थे। इस बैठक को सपा की कोर वोटबैंक को मजबूत करने और आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारियों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
मुलाकात आजम खान के निवास पर हुई, जहां अखिलेश यादव उनके परिवार के साथ लंबी बातचीत करने पहुंचे। मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं के बीच गहन चर्चा हुई, जो जौहर अली यूनिवर्सिटी के हेलीपैड तक पहुंची, जहां आजम खान ने खुद अखिलेश को विदा किया।
अखिलेश ने मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “आजम खान हमारे पार्टी का आधार हैं। हमारा साथ हमेशा रहा और हमेशा रहेगा। उन्हें झूठे मामलों में फंसाया गया था।” यह बयान सपा कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने वाला साबित हो रहा है।
आजम खान की रिहाई के बाद से ही राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि वे सपा से नाराज होकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) या किसी अन्य दल में शामिल हो सकते हैं। लेकिन इस मुलाकात ने इन अफवाहों पर विराम लगा दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम सपा की पश्चिमी यूपी में मुस्लिम वोटबैंक को फिर से एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा है। रामपुर में सैकड़ों सपा कार्यकर्ता इस अवसर पर पहुंचे, जबकि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही।
सोशल मीडिया पर इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो चुके हैं। एक तस्वीर में आजम खान अखिलेश यादव का हाथ थामे घर के अंदर जाते दिख रहे हैं, जिसने काफी चर्चा बटोरी। एक अन्य वीडियो में अखिलेश आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम से भी मिलते नजर आ रहे हैं। सपा के मीडिया प्रभारी ने ट्वीट कर इसे “रिश्तों की गर्माहट बढ़ाने” वाला कदम बताया।
हालांकि, विपक्षी दलों ने इस पर तंज कसे हैं। सूबे के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा, “अखिलेश ने जेल में 23 महीने तक आजम से न मिलने का फैसला लिया, अब चुनाव नजदीक आते ही याद आ गई। डर है कि आजम और शिवपाल मिलकर नई पार्टी न बना लें।” राजभर का यह बयान सपा के आंतरिक कलह को उजागर करता है।
यह मुलाकात अखिलेश की यात्रा योजना में भी बदलाव का नतीजा थी। मूल रूप से बरेली एयरपोर्ट से रामपुर आने वाले थे, लेकिन वे मुरादाबाद रूट से पहुंचे। सपा के एक नेता ने बताया कि यह दौरा आजम की राजनीतिक प्रासंगिकता को बहाल करने का प्रयास है, जो 2022 के रामपुर उपचुनाव में कमजोर पड़े थे।
कुल मिलाकर, यह मुलाकात सपा के लिए सकारात्मक संकेत है, लेकिन पार्टी को आंतरिक एकता बनाए रखने की चुनौती बनी हुई है। 2027 के चुनावों में रामपुर जैसे जिलों में मुस्लिम-यादव समीकरण फिर से मजबूत हो सकता है।

