AI’s Extreme Scenario News: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तेजी से हमारी दुनिया को बदल रही है, लेकिन इसके चरम परिदृश्य मानव जीवन के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं? एमआईटी के कंप्यूटर साइंस एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लैब (सीएसएआईएल) के फ्यूचरटेक रिसर्च प्रोजेक्ट के डायरेक्टर नील थॉम्पसन ने हाल ही में एआई के संभावित जोखिमों पर गहन चिंता जताई है। थॉम्पसन, जो डिजिटल इकोनॉमी इनिशिएटिव के प्रमुख जांचकर्ता भी हैं, का मानना है कि एआई की स्केलिंग (विस्तार) न केवल आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियां पैदा कर रही है, बल्कि यह सामाजिक संरचना को भी झकझोर सकती है।
थॉम्पसन ने अपनी हालिया रिसर्च और इंटरव्यू में बताया कि एआई मॉडल्स, जैसे चैटजीपीटी या अल्फागो, को ट्रेन करने की लागत पहले ही लाखों डॉलर तक पहुंच चुकी है। उदाहरण के लिए, चैटजीपीटी को ट्रेन करने में लगभग 50 लाख डॉलर का खर्च आया, जबकि अल्फागो जैसे सिस्टम पर 3.5 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च हुए। लेकिन समस्या सिर्फ पैसे की नहीं है। ये मॉडल्स इतनी भारी कंप्यूटिंग पावर मांगते हैं कि वैश्विक ऊर्जा खपत में इजाफा हो रहा है। थॉम्पसन की 2020 की स्टडी “द कम्प्यूटेशनल लिमिट्स ऑफ डीप लर्निंग” में चेतावनी दी गई थी कि डीप लर्निंग की यह “अनियंत्रित” भूख ऊर्जा संसाधनों को चरम दबाव में डाल देगी, जो जलवायु परिवर्तन को और तेज कर सकती है।
चरम परिदृश्यों की बात करें तो थॉम्पसन आगाह करते हैं कि एआई की बढ़ती क्षमता नौकरियों को विस्थापित कर सकती है। उनकी रिसर्च “एआई का फ्यूचर ऑफ वर्क पर प्रभाव” में कहा गया है कि एआई न केवल रूटीन जॉब्स को खत्म करेगी, बल्कि क्रिएटिव और एनालिटिकल कामों को भी प्रभावित करेगी। एक उदाहरण के तौर पर, सुपरमार्केट में स्टॉक ऑर्डरिंग को ऑटोमेट करने वाले डीप लर्निंग सिस्टम पहले ही उपयोग हो रहे हैं, जो सीजनल डिमांड को सटीक भविष्यवाणी करते हैं। लेकिन अगर एआई पूरी तरह से नियंत्रण ले ले, तो बेरोजगारी की लहर करोड़ों लोगों की जिंदगी बर्बाद कर सकती है। थॉम्पसन के अनुसार, “एआई की सटीकता 100% के करीब पहुंचने पर रिटर्न घटते जाते हैं, लेकिन लागत बढ़ती जाती है, जो असमानता को गहरा करेगी।”
एक और गंभीर खतरा है एआई की सांद्रता। थॉम्पसन की नई स्टडी “बियॉन्ड एआई एक्सपोजर” में बताया गया है कि कुछ अमीर सरकारें और कंपनियां ही एआई पर कंट्रोल हासिल कर लेंगी, क्योंकि ट्रेनिंग की लागत इतनी ऊंची है कि छोटे प्लेयर्स पिछड़ जाएंगे। ओपन फिलैंथ्रोपी ने हाल ही में थॉम्पसन की टीम को 1.67 करोड़ डॉलर का ग्रांट दिया है, ताकि एआई के आर्थिक जोखिमों का मूल्यांकन किया जा सके। वे कहते हैं, “एआई उपयोगी तो है, लेकिन हमारी जीवनशैली के लिए संभावित रूप से खतरनाक भी।”
फ्यूचरटेक प्रोजेक्ट के तहत थॉम्पसन की टीम एआई स्केलिंग लॉज पर वर्कशॉप आयोजित कर रही है, जहां कंप्यूटर साइंटिस्ट, इंजीनियर और इकोनॉमिस्ट मिलकर इसके प्रभावों पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। एक हालिया इतालवी डॉक्यूमेंट्री में थॉम्पसन और उनकी टीम के सदस्य नूर अहमद ने एआई के वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की।
थॉम्पसन, जिन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से इकोनॉमिक्स में मास्टर्स और फिजिक्स व इंटरनेशनल डेवलपमेंट में अंडरग्रेजुएट डिग्री हासिल की है, ने लॉरेंस लिवरमोर नेशनल लैबोरेटरी, बेन एंड कंपनी, संयुक्त राष्ट्र, वर्ल्ड बैंक और कैनेडियन पार्लियामेंट जैसे संगठनों में काम किया है। उनकी रिसर्च ने 3,390 से अधिक साइटेशन अर्जित किए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि एआई के इन चरम परिदृश्यों से निपटने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप जरूरी है। थॉम्पसन की सलाह है कि व्यवसायों को क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती तकनीकों को अपनाने के साथ-साथ नैतिकता पर फोकस करना चाहिए। अन्यथा, एआई का यह “डार्क साइड” मानवता के लिए अभिशाप बन सकता है।

