यह मामला 2002 में हुई शादी से जुड़ा है। पत्नी स्वामिनारायण संप्रदाय की कट्टर अनुयायी हैं, जो अपने धार्मिक नियमों के तहत प्याज और लहसुन को ‘तामसिक’ मानती हैं और इनका सेवन पूरी तरह वर्जित रखती हैं। शादी के बाद पत्नी ने पति से घर में इन सब्जियों का उपयोग बंद करने की मांग की। पति ने शुरू में सहमति दिखाई, लेकिन धीरे-धीरे उनकी असहमति बढ़ती गई। आखिरकार, पति ने अलग रसोई बनाकर अपना खाना खुद बनाना शुरू कर दिया।
विवाद तब चरम पर पहुंचा जब पत्नी बच्चे को लेकर मायके चली गईं। इस घटना के बाद पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल की, जिसमें उन्होंने पत्नी की ‘खान-पान संबंधी पाबंदियों’ को वैवाहिक जीवन के लिए असहनीय बताया। कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाया और तलाक को मंजूरी दे दी। पत्नी ने फैसले को चुनौती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन जस्टिस ने अपील को खारिज करते हुए कहा कि पति के दावे में पर्याप्त आधार है।
यह केस न केवल पारिवारिक विवादों की गहराई को उजागर कर रहा है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच टकराव को भी उजागर करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में मध्यस्थता और काउंसलिंग से समस्याओं का समाधान संभव होता, लेकिन यहां मामला कोर्ट तक पहुंच गया। सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो रही है, जहां लोग इसे ‘प्याज-लहसुन तलाक’ कहकर मजाक उड़ा रहे हैं, लेकिन वास्तव में यह एक गंभीर पारिवारिक संकट की मिसाल है।
अधिकारियों के अनुसार, गुजरात में वैवाहिक विवादों के मामले बढ़ रहे हैं, और ऐसे अनोखे कारणों से जुड़े केस दुर्लभ नहीं हैं। दंपत्ति की पहचान गोपनीय रखी गई है।

