His brothers refused to give him his rights to his ancestral land.जम्मू-कश्मीर के मीरां साहिब क्षेत्र में एक ऐसी दर्दनाक कहानी सामने आई है, जो सीमा के उस पार की क्रूरता और घर लौटने पर परिवार की बेरुखी दोनों को बयां करती है। तिलक राज नामक एक साधारण किसान, जो गलती से पाकिस्तान सीमा में चले गए थे, वहां 16 लंबे साल जेल की सलाखों के पीछे बिताने के बाद भारत लौटे। लेकिन उनकी राह आसान न थी। जेल की यातनाओं से उबरे ही न थे कि उनके अपने भाइयों ने उनकी पैतृक संपत्ति पर कब्जा जमा लिया। अब प्रशासन ने उन्हें न्याय का भरोसा दिया है, लेकिन तिलक राज की जिंदगी अब भी अनिश्चितताओं से घिरी हुई है।
गलती का घातक परिणाम
तिलक राज, मीरां साहिब के एक छोटे से गांव के निवासी, कभी सोच भी न पाते कि एक साधारण सी सीमा यात्रा उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगी। कुछ साल पहले, वे गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया और जासूसी के संदेह में लंबी सजा सुना दी। 16 साल तक वे पाकिस्तान की कुख्यात जेलों में सड़े, जहां न केवल शारीरिक यातनाओं का सामना करना पड़ा, बल्कि मानसिक पीड़ा ने उन्हें तोड़ने की पूरी कोशिश की।
तिलक राज ने बताया, “जेल के उन दिनों में मुझे लगा कि मेरा वतन भूल ही गया है। हर रात सपने में मां-बाप और भाइयों के चेहरे आते, लेकिन हकीकत में कुछ न था।” इस लंबी कैद के दौरान उनकी माता-पिता का देहांत हो गया। परिवार से कोई संपर्क न होने के कारण वे अकेले ही जेल की दीवारों के बीच जीते रहे। आखिरकार, कूटनीतिक प्रयासों और मानवीय आधार पर उन्हें भारत वापस लाया गया। लेकिन घर लौटते ही एक नया सदमा मिला—उनकी पैतृक जमीन और संपत्ति पर उनके भाइयों ने अवैध कब्जा कर लिया था।
भाइयों का विश्वासघात
भारत लौटने के बाद तिलक राज को लगा कि कम से कम परिवार तो उनका सहारा बनेगा। लेकिन हकीकत उलट थी। उनके भाइयों ने न केवल संपत्ति पर कब्जा जमा लिया, बल्कि उन्हें घर में घुसने तक न दिया। तिलक राज ने कहा, “मैंने जेल में 16 साल काटे, मां-बाप खो दिए, और अब भाई ही दुश्मन बन गए। यह कैसा न्याय है?” दुखी तिलक ने तुरंत स्थानीय प्रशासन का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने एसडीएम आरएस पुरा अनुराधा ठाकुर को एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपा, जिसमें संपत्ति विवाद और डोमिसाइल सर्टिफिकेट की मांग की गई।
शिकायत मिलते ही एसडीएम अनुराधा ठाकुर ने तुरंत कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए। उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों को तिलक राज के पूर्वजों के पुराने रिकॉर्ड के आधार पर डोमिसाइल सर्टिफिकेट जारी करने का आदेश दिया। साथ ही, अन्य आवश्यक सुविधाएं जैसे राशन कार्ड, वोटर आईडी और बैंक खाता खोलने में सहायता का भरोसा दिलाया। सबसे महत्वपूर्ण, एसडीएम ने तिलक राज के भाइयों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया। एक अधिकारी ने बताया, “हम जमीन के राजस्व रिकॉर्ड की जांच कर रहे हैं। तिलक राज को उनका हक दिलाना हमारी प्राथमिकता है।”
सीमा विवादों का व्यापक संदर्भ
तिलक राज की यह कहानी जम्मू-कश्मीर में सीमा पार करने वाले निर्दोष लोगों की लंबी कतार का हिस्सा है। हाल के वर्षों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ने से कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां गलती से सीमा पार करने वाले किसान या ग्रामीण लंबे समय तक पाकिस्तानी जेलों में कैद रहे। 2025 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संक्षिप्त संघर्ष के बाद ऐसे मामलों में और वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) पर सतर्कता बढ़ाने के बावजूद, ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की कमी ऐसी त्रासदियों को जन्म दे रही है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “तिलक राज जैसे लोग न केवल देश की सीमाओं के शिकार होते हैं, बल्कि लौटने पर सामाजिक और पारिवारिक बहिष्कार का सामना करते हैं। प्रशासन को ऐसे मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।” फिलहाल, तिलक राज को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें न्याय मिलेगा और वे अपनी खोई हुई जिंदगी को फिर से संवार सकेंगे।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि सीमा के पार की दुनिया कितनी निर्दयी हो सकती है, और घर लौटना हमेशा खुशियों की गारंटी नहीं होता। प्रशासन की इस सक्रियता से तिलक राज को नई जिंदगी मिलने की संभावना है, लेकिन क्या उनके भाइयों का मन बदलेगा, यह समय ही बताएगा।

