48 वर्षीय सीईओ की मीटिंग में चेहरा लाल, अचानक बढ़ी गर्मी की लहर: अमेरिका की नई मेनोपॉज दवा से महिलाओं को मिली उम्मीद, तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों की राय

Menopause drug offers hope to women. News: एक व्यस्त कॉर्पोरेट मीटिंग के दौरान 48 वर्षीय एक प्रमुख कंपनी की सीईओ का चेहरा अचानक लाल हो गया। पसीना छूटने लगा, दिल की धड़कन तेज हो गई और पूरे शरीर में गर्मी की लहर दौड़ गई। यह कोई सामान्य तनाव नहीं था, बल्कि मेनोपॉज के कारण होने वाली हॉट फ्लैश की समस्या थी। इस घटना ने न केवल उनकी पेशेवर जिंदगी को प्रभावित किया, बल्कि लाखों महिलाओं की उस अनकही पीड़ा को भी उजागर कर दिया जो हार्मोनल बदलावों से गुजर रही हैं। लेकिन अब अमेरिका में एक नई ब्रेकथ्रू मेनोपॉज पिल ने उम्मीद की किरण जगा दी है। तीन प्रमुख स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा मध्यम से गंभीर हॉट फ्लैश को ७७ प्रतिशत तक कम कर सकती है, जो पारंपरिक उपचारों से कहीं बेहतर है।

सीईओ की परेशानी: मीटिंग में शर्मिंदगी और नींद की कमी
यह ४८ वर्षीय सीईओ, जिनका नाम गोपनीय रखा गया है, रोजाना ८ से १० बार हॉट फ्लैश का शिकार होती हैं। कभी-कभी ये लहरें घंटों के अंतराल पर आती हैं, तो कभी लगातार। इससे न केवल चेहरा लाल हो जाता है, बल्कि ठंडी लगने लगती है और मूड स्विंग्स, थकान व अनिद्रा जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया, “मीटिंग के बीच में यह होना सबसे शर्मनाक होता है। मैं डरने लगी हूं कि कब फिर से ऐसा हो जाए।” डॉ. प्रीति रस्तोगी, मेदांता, गुड़गांव की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की निदेशक एवं प्रमुख, ने उनकी जांच की। डॉ. रस्तोगी ने बताया कि एस्ट्रोजन हार्मोन के स्तर में गिरावट से दिमाग का थर्मोस्टेट प्रभावित होता है, जो शरीर को गर्म मानकर कूलिंग प्रक्रिया शुरू कर देता है।

डॉ. रस्तोगी ने उन्हें क्लोनिडाइन नामक ब्लड प्रेशर दवा दी, जो हॉट फ्लैश को ४६ प्रतिशत तक कम करती है, लेकिन इससे मुंह सूखना और नींद आना जैसी साइड इफेक्ट्स हुईं। इसके अलावा, नींद की गोलियां और हल्के एंटीडिप्रेसेंट्स भी लेने पड़े, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करते हैं।

अमेरिका की नई दवा: एलिन्ज़ैनेटैंट (लिंक्यूट) – कैसे काम करती है?
अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने हाल ही में एलिन्ज़ैनेटैंट नामक नॉन-हार्मोनल पिल को मंजूरी दी है, जो नवंबर से बाजार में उपलब्ध होगी। बायर कंपनी द्वारा लिंक्यूट ब्रांड के तहत लॉन्च हो रही यह दवा एस्ट्रोजन की कमी से ट्रिगर होने वाले ब्रेन केमिकल्स को ब्लॉक करती है। यह दो ब्रेन रिसेप्टर्स पर काम करती है, जो शरीर की गर्मी को नियंत्रित करते हैं – इससे पहले की दवा फेज़ोलिनेटैंट केवल एक पर काम करती थी।

फेज़ ३ क्लिनिकल ट्रायल में ६२८ पोस्ट-मेनोपॉज महिलाओं पर परीक्षण किया गया। १२ हफ्तों में हॉट फ्लैश और नाइट स्वेट्स ७७ प्रतिशत कम हो गए, जबकि प्लेसिबो में केवल ४७ प्रतिशत। प्रभाव एक साल से ज्यादा रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा न केवल हॉट फ्लैश, बल्कि नींद की गुणवत्ता भी सुधारती है। सर्जिकल मेनोपॉज (जैसे ओवेरियन कैंसर या एंडोमेट्रियोसिस के कारण अंडाशय हटाने) में, जहां एस्ट्रोजन अचानक गिरता है, यह खासतौर पर प्रभावी है। हालांकि, लीवर की बीमारियों वाले महिलाओं के लिए contraindicated है।

विशेषज्ञों की राय: एचआरटी vs नई दवा, और भारत में चुनौतियां
डॉ. प्रीति रस्तोगी ने कहा, “यह दवा हॉट फ्लैश के क्लिनिकल मैनेजमेंट के लिए बड़ा ब्रेकथ्रू है। ८० प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करने वाली इस समस्या पर और रिसर्च होनी चाहिए।” वे एचआरटी (हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) को केवल चरम मामलों में सलाह देती हैं, क्योंकि कैंसर, ब्लड क्लॉटिंग, स्ट्रोक या हार्ट अटैक के इतिहास वाली महिलाओं के लिए जोखिम भरा है।

“६० वर्ष से कम उम्र की स्वस्थ महिलाओं के लिए फायदे जोखिमों से ज्यादा हैं, लेकिन नॉन-हार्मोनल विकल्प बेहतर हैं।”
डॉ. मीनाक्षी अहूजा, फोर्टिस ला फेम की सीनियर डायरेक्टर और दिल्ली मेनोपॉज सोसाइटी की अध्यक्ष, ने एचआरटी को सुरक्षित बताया, लेकिन सही संदर्भ में। “२००२ की डब्ल्यूएचआई स्टडी में गलत व्याख्या हुई थी। आधुनिक हार्मोन सुरक्षित हैं, लेकिन भारतीय महिलाएं अनियमित हर्बल प्रोडक्ट्स जैसे अश्वगंधा या फाइटोएस्ट्रोजेंस का इस्तेमाल कर रही हैं, जिनके कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।”

डॉ. मनन गुप्ता, एलेंटिस हेल्थकेयर, दिल्ली के चेयरमैन, ने कहा, “हॉट फ्लैश के अलावा नींद, योनि शुष्कता और हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं के लिए सिम्प्टमेटिक रिलीफ जरूरी है। डाइट, एक्सरसाइज और सप्लीमेंट्स के साथ दवा को कस्टमाइज करें।” भारत में अभी यह दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ सस्ती विकल्पों की मांग कर रहे हैं। मेनोपॉज से पहले ५-७ साल और बाद में २ साल तक लक्षण बने रहते हैं, जो महिलाओं की जिंदगी को प्रभावित करते हैं।

वैश्विक संदर्भ: मेनोपॉज पर बढ़ती जागरूकता
दुनिया भर में ८० प्रतिशत महिलाओं को हॉट फ्लैश होते हैं, जो तनाव हार्मोन कोर्टिसोल बढ़ाते हैं और ब्लड प्रेशर प्रभावित करते हैं। भारत में महिलाएं अक्सर भारी ब्लीडिंग या योनि शुष्कता तक डॉक्टर के पास नहीं जातीं, लेकिन अब पेरिमेनोपॉज स्टेज में सलाह लेने वालियां बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का आह्वान है कि रिसर्च बढ़े और महिलाओं को सशक्त बनाया जाए।

यह नई दवा न केवल सीईओ जैसी महिलाओं को राहत देगी, बल्कि मेनोपॉज को ‘साइलेंट स्ट्रगल’ से ‘मैनेजेबल फेज’ बना देगी।

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