घटना महोबा के शहर कोतवाली क्षेत्र की हिंद टायर गली की है। ओम प्रकाश सिंह राठौर रेलवे से सीनियर क्लर्क के पद से रिटायर्ड हुए थे। उनकी पत्नी की मौत 2016 में हो गई थी, इसके बाद वे बेटी रश्मि के साथ अलग घर में रहने लगे। चूंकि वे खाना बनाना नहीं जानते थे, इसलिए उन्होंने राम प्रकाश कुशवाहा और राम देवी को घरेलू सहायक के रूप में रखा।
परिजनों के अनुसार, धीरे-धीरे नौकर दंपति ने घर पर कब्जा जमा लिया। उन्होंने ओम प्रकाश और रश्मि को घर के ग्राउंड फ्लोर के कमरों में कैद कर दिया, जबकि खुद ऊपरी मंजिल पर आराम से रहने लगे। दोनों को उचित भोजन नहीं दिया जाता था और चिकित्सा सुविधा से भी वंचित रखा गया। जब भी रिश्तेदार मिलने आते, तो दंपति बहाने बनाकर उन्हें वापस भेज देते।
ओम प्रकाश के भाई अमर सिंह राठौर ने बताया, “नौकर दंपति ने कहा था कि वे उन्हें दिन में दो रोटी खिलाते हैं, लेकिन अगर एक भी रोटी दी होती तो उनकी हालत ऐसी नहीं होती।” एक अन्य रिश्तेदार पुष्पा सिंह राठौर ने कहा, “रश्मि की हालत देखकर दिल दहल गया। भूख से उसका शरीर 80 साल की बुजुर्ग जैसा हो गया था। शरीर पर मांस का नामोनिशान नहीं था, सिर्फ हड्डियों का ढांचा बचा था जो सांस ले रहा था। लाश अंधेरे कमरे में नग्न अवस्था में मिली।”
सोमवार को ओम प्रकाश की मौत की सूचना मिलने पर परिजन घर पहुंचे तो यह भयावह दृश्य देखा। ओम प्रकाश का शव भी बेहद कमजोर और सूखा हुआ था। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
परिजनों का आरोप है कि नौकर दंपति ने संपत्ति और बैंक बैलेंस पर कब्जा करने के इरादे से यह क्रूरता की। यहां तक कि उन्होंने घर के बाहर नेमप्लेट पर खुद को ओम प्रकाश का बेटा बताकर लिखवाया था।
पुलिस जांच में जुटी है। सिटी सीओ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी और हर पहलू की गहन जांच की जा रही है। फिलहाल नौकर दंपति फरार बताए जा रहे हैं। रश्मि को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यह मामला लंबे समय तक कैद और उपेक्षा की क्रूरता को उजागर करता है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।

